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अफगानी के बाद अब ईरानी गैंग का आतंक, दिल्ली से लेकर मुंबई तक फैला जाल

फिलहाल देश के कई राज्यों के साथ इस ईरानी गैंग ने अब एनसीआर के इलाकों गुरुग्राम गाजियाबाद और नोएडा के साथ अन्य शहरों में भी अपने पैर पसार लिए हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 29 Jul 2019 03:59 PM (IST)
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अफगानी के बाद अब ईरानी गैंग का आतंक, दिल्ली से लेकर मुंबई तक फैला जाल

नई दिल्ली, जेएनएन। नाइजीरियाई और अफगानी गैंग के बाद अब देश की राजधानी दिल्ली से लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुंबई तक पिछले कई सालों से शातिर ईरानी गैंग का आतंक छाया हुआ है। दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र समेत दर्जनभर से अधिक राज्यों की पुलिस इस गिरोह के सदस्यों की तलाश में लगी हुई है, लेकिन अब तक पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिल पाई है। अक्सर इस गैंग की सदस्यों की गिरफ्तारी होती है, लेकिन कुछ समय बाद ही ये फिर सक्रिय हो जाते हैं। दो साल पहले ईरानी गैंग के गिरफ्तार सदस्यों ने खुद खुलासा किया था था उनका गैंग मुंबई तक सक्रिय है। 

दिल्ली-एनसीआर में भी फैला ईरानी गैंग का जाल

देश के कई राज्यों के साथ इस ईरानी गैंग ने अब एनसीआर के इलाकों गुरुग्राम, गाजियाबाद और नोएडा के साथ अन्य शहरों में भी अपने पैर पसार लिए हैं। पिछले कुछ सप्ताह के भीतर दिल्ली-एनसीआर में इस गैंग द्वारा ठगी के कई मामले सामने आए हैं। लोगों ने इस बाबत स्थानीय पुलिस से शिकायत पर जांच की मांग की है। यह गैंग नोएडा, गुरुग्राम और दिल्ली में लोगों से ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। 

पिछले 2 सप्ताह के दौरान तीन ईराकी ही इस गैंग का शिकार हुए हैं। पिछले दिनों ईराक के डिबरिश शहर से आए 37 वर्षीय फारिस सबीब तलब इस गैंग का शिकार बने, जिन्होंने इनसे 30000 डॉलर लूट लिए। यह पैसा उनके भाई के इलाज के लिए था। पीड़ित ने बताया कि दो आरोपित विदेशी थे तो एक स्थानीय था।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा स्थित एक्सप्रेस-वे थाने के एसएचओ भुवनेश कुमार का कहना है कि पिछले दिनों ही दो दूथ कारोबारी से तथाकथित ईरानी गैंग के शातिरों ने 17000 रुपये उड़ा लिए थे, जब पीड़ित अपने मैनेजर से बातचीत में मशगूल था। भुवनेश की मानें तो दोनों आरोपितों की पहचान विदेशी के रूप में हुई है। उन्होंने आशंका जताई है कि इस ईरानी गैंग का हाथ दिल्ली और गुरुग्राम में हुई कई वारदातों में हो सकता है। यह गैंग ज्यादातर उन विदेशियों का अपना निशाना बनाता है, जो विदेश से इलाज के लिए दिल्ली-एनसीआर में आए होते हैं। नोएडा में हुई लूट में भी इसी गैंग का हाथ होने की आशंका है। 

ऐसे लोगों को ठगता है ईरानी गैंग

पुलिस के जानकारों की मानें तो देखने में स्मार्ट लगने वाले इस ईरानी गैंग के शातिर सदस्य बैंकों में जाकर बड़ी आसानी से ठगते हैं और उनका रुपया लेकर चलते बनते हैं। अब तो यह गैंग रात के साथ दिन भी ठगी को अंजाम देने लगा है। 

आलम यह है कि दिल्ली में इस गिरोह का आतंक इतना बढ़ गया है कि पुलिस को इनकी करतूतों की पूरी डॉजियर बनानी पड़ी है। दिल्ली पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को पकड़ने के लिए योजना पर काम कर रही है, इसमें एनसीआर (नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद) पुलिस का कहना है कि ये गिरोह ज्यादातर भोली-भाली महिलाओं को अपना शिकार बनाता है। पुलिस के हाथ इस गिरोह के सदस्यों का सीसीटीवी फुटेज भी हाथ लगा है। इसके आधार इन्हें पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

वहीं, गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण का कहना है कि नोएडा पुलिस गुरुग्राम पुलिस प्रशासन के संपर्क में और इस गैंग के बदमाशों की तलाश की जा रही है। 

दो साल पहले अप्रैल, 2017 में दिल्ली पुलिस ने ईरानी गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था जो खुद को क्राइम ब्रांच या सीबीआइ अधिकारी बताकर बुजुर्ग महिलाओं के आभूषण लूटते थे। तत्कालीन पुलिस कमिश्नर (पश्चिम) ने खुलासा किया था कि ये बदमाश अक्षय कुमार अभिनीत बॉलिवुड फिल्म 'स्पेशल 26' से प्रेरित थे। अपने आप को पुलिस बताकर उनमें से दो सादी वर्दी वाले पुलिस अधिकारियों की तरह सफारी सूट पहनते थे। उन्होंने यह भी बताया कि दो आरोपी मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज मकोका के दो अलग-अलग मामलों में वांछित थे। तब दिल्ली पुलिस ने पुलिस ने दिल्ली, गुरुग्राम और अन्य राज्यों से ऐसे 100 से ज्यादा मामले सुलझाने का दावा किया था।

वहीं, कुछ सप्ताह पहले ही जब इराक के किरकुक शहर के निवासी फारिस सबीब तलब से बात की तो कुछ इस तरह उनका दर्द छलका था। उन्होंने बताया कि 13 जुलाई को अदनान सबीब तलब जेपी अस्पताल में जौहरी फार्म हेल्थ एजेंट के जरिये ट्रांसप्लांट से पहले विभिन्न प्रकार की जांच के लिए भारत पहुंचे। फारिस तीन अन्य परिजन के साथ 17 जुलाई को सुबह छह बजे भारत पहुंचे। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद से जेपी फर्म का एजेंट अब्दुल वारिस उन्हें जेपी अस्पताल लेकर आया। यहां पहुंचने के बाद अस्पताल के डॉक्टर अभिदीप चौधरी ने करीब 15 दिन में ट्रांसप्लांट हो जाने की बात बताई थी, लेकिन अब सब समझ नहीं आ रहा क्या करें। बिजली का व्यवसाय करने वाले पिता की इतनी हैसियत नहीं है कि वह 15 दिनों में पैसा जुटा सकें, इसलिए अब खाली हाथ अपने देश वापस जाना होगा।

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