एसिड अटैक और दुर्घटना में घायलों के इलाज से इनकार करना निजी अस्पतालों को पड़ेगा महंगा
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि सड़क हादसों में घायलों का फौरन इलाज नहीं करने वाले प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जाएगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चेतावनी दी है कि दुर्घटना में घायल को कोई निजी अस्पताल इलाज से मना करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने सह भी साफ किया कि दुर्घटना में घायल के इलाज पर आने वाले खर्च का बिल देने पर निजी अस्पताल को पूरा भुगतान दिल्ली सरकार करेगी। केजरीवाल ने इस मामले को लेकर दिल्ली सचिवालय में मंगलवार को निजी अस्पतालों की बैठक बुलाई। जिसमें उन्होंने साफ किया कि इस बारे में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
बैठक के बाद प्रेसवार्ता कर केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली की सीमा के अंदर अगर कोई सड़क दुर्घटना होती है या कोई एसिड अटैक होता है अथवा कोई बर्न इंजरी (जल जाने की कोई घटना) होती है तो उसका तुरंत इलाज कराना बहुत जरूरी होता है। चिकित्सा के क्षेत्र में कहा गया है कि पहले एक घंटे में अगर उसको मेडिकल की सुविधा मिल जाए तो दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की जान बचने के आसार काफी ज्यादा रहते हैं।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई आदेश भी हैं जिनमें कहा गया है कि अगर किसी ऐसे पीड़ित को आप अस्पताल लेकर जाते हैं तो कोई भी अस्पताल इलाज करने से मना नहीं कर सकता। लेकिन, ऐसा देखा गया है कि कई बार निजी अस्पताल कोई न कोई बहाना बनाकर इलाज के लिए मना कर देते हैं। निजी अस्पताल वाले इसलिए इलाज करने से बचते हैं कि इसका बिल कौन देगा। दुर्घटना के शिकार व्यक्ति का बीमा है भी या नहीं।
केजरीवाल ने कहा हम चाहते हैं कि ऐसे हादसों में जो भी पीड़ित हों उनको तुरंत मेडिकल की सुविधा मिले। हम चाहते हैं कि दुर्घटना के आसपास मौजूद लोग दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले कर जाएं। वह अस्पताल चाहे कितना भी बड़ा हो। उसके इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। यह योजना फरवरी 2018 में लागू हुई थी।
फरवरी 2018 से लेकर अप्रैल, 2019 के बीच इस 14 महीने में 2501 लोगों को अस्पताल ले जाकर जान बचाई जा चुकी है। कोई अस्पताल अगर मना करेगा तो दिल्ली सरकार उस अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने से भी नहीं हिचकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में एक और भी बहुत दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है। दिल्ली सरकार ने स्कीम निकाली थी कि जो भी व्यक्ति दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को अस्पताल ले जाएगा उसको 2 हजार रुपये का पुरस्कार मिलेगा। अभी तक 2501 मामले आए, मगर अस्पताल लेकर जाने वालों ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया। अभी तक 100 से भी कम लोगों ने यह पुरस्कार लिया है।
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