जानिए- आखिर क्यों बंद होने की कगार पर है दिल्ली का दूसरा एडवेंचर आइलैंड पार्क
लंबे समय से लीज रेंट का भुगतान न करने के कारण दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने एडवेंचर आइलैंड की लीज रद कर दी है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता] Rohini Adventure Island Park closed soon: अप्पू घर के बाद दिल्ली का दूसरा सबसे बड़ा मनोरंजन पार्क एडवेंचर आइलैंड भी बंद होने जा रहा है। लंबे समय से लीज रेंट (पट्टे पर दी भूमि का किराया) का भुगतान न करने के कारण दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने इस पार्क की लीज रद कर दी है। इसके अलावा पीतमपुरा स्थित सेवा होटल और प्रशांत विहार स्थित एक कॉमर्शियल टावर की लीज भी रद कर दी गई है। इन सभी को नोटिस भेजकर डीडीए ने 15 दिनों के भीतर जमीन लौटाने को कहा है। छोटी-बड़ी मिलाकर दिल्ली में डीडीए की तकरीबन 12 हजार व्यावसायिक संपत्तियां 30 से 90 साल तक के लीज पर हैं। इनका द्विमासिक, त्रैमासिक, छमाही आधार पर सभी को रेंट देना होता है।
दो साल से नहीं चुकाया है रेंट
रोहणी में 61 एकड़ जमीन पर बने एडवेंचर आइलैंड पार्क का दो साल का रेंट नहीं दिया गया है। ब्याज सहित यह राशि लगभग तीन करोड़ रुपये हो गई है। 2012 में भी रेंट न देने पर इसकी लीज रद कर दी गई थी, लेकिन बाद में भुगतान के बाद फिर जारी कर दी गई थी। सेवा होटल पीतमपुरा में 3,250 वर्ग मीटर जमीन पर बना है। इसका भी दो साल का रेंट नहीं दिया गया है। इसकी बकाया राशि ब्याज सहित करीब 1.25 करोड़ रुपये है। इसी तरह प्रशांत विहार डी- 16 स्थित कॉमर्शियल टॉवर की लीज भवन उपनियमों के उल्लंघन और मॉनीटरिंग कमेटी की सिफारिश पर रद कर दी गई है।
लीज रेंट प्रक्रिया होगी पारदर्शी
अभी तक डीडीए की लीज रेंट प्रक्रिया मैन्युअली संचालित होती रही है। इसलिए इसमें गड़बड़ियां भी सामने आती रही हैं। इसमें कई बकायेदारों का सही रिकॉर्ड नहीं मिल पाता है तो कई आधा-अधूरा लीज रेंट जमा करके बच निकलते हैं। ऐसे बकायेदारों पर नकेल कसने के लिए डीडीए ने एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया है। जल्द ही लीज वाली सभी संपत्तियां इससे जोड़ दी जाएंगी। इससे अधिकारी समय-समय पर यह जान सकेंगे कि किस संपत्ति का किराया मिला और किसका नहीं मिला। इसकी मदद से डिफाल्टरों पर कार्रवाई करना भी आसान होगा।
रोहिणी स्थित एडवेंचर आइलैंड
एडवेंचर आइलैंड और सेवा होटल सहित कई संपत्तियों की लीज रद कर दी गई है। अगर तय समय तक इन्होंने डीडीए को जमीन वापस नहीं की तो सार्वजनिक जमीन पर अवैध कब्जा करने संबंधी के अधिनियम 1971 के तहत इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अब ऐसी किसी संपत्ति के मालिक के प्रति ढिलाई नहीं बरती जाएगी, जो समय पर रेंट का भुगतान नहीं कर रहा होगा।
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