Article 370: प्रतिबंध आपके दिमाग में है जम्मू-कश्मीर में नहीं, शाह का विपक्ष को करारा जवाब
अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई के पहले गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि इसे हटाने का फैसला पूरी तरह संविधानसम्मत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर में पाबंदियों को लेकर सवाल उठा रहे लोगों, खासकर विपक्ष को करार जवाब दिया। शाह ने रविवार को यहां कहा कि कश्मीर में कहीं कोई पाबंदी नहीं है।अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई के पहले गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि इसे हटाने का फैसला पूरी तरह संविधानसम्मत है। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 370 में पहले दो बार किये गए संशोधन का हवाला दिया। कश्मीर समस्या को लेकर पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पूरी तरह जिम्मेदार मानते हुए इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में जाने को उनकी भीषणतम भूल करार दिया।
कई बार किया गया बदलाव
अनुच्छेद 370 को हटाने को असंवैधानिक बताने के आरोपों को खारिज करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस अनुच्छेद के उपबंध तीन का प्रयोग पहली बार नहीं किया गया है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहने के दौरान 1958 में किया गया। उस समय राष्ट्रपति के आदेश से जम्मू-कश्मीर के लिए 'महाराजा' शब्द को हटाकर 'सदर-ए-रियासत' कर दिया गया था। इसी तरह 1965 में इसी उपबंध तीन का प्रयोग करते हुए 'सदर-ए-रियासत' की जगह 'राज्यपाल' कर दिया गया। अमित शाह ने कहा कि यदि कोई भी कानून के अंदर बदलाव हो सकता है, तो उस धारा का उपयोग कर कानून निरस्त हो ही सकता है।'
कांग्रेस पर किया प्रहार
कांग्रेस पर आम जनता से कश्मीर के इतिहास को तोड़-मरोड़कर जनता के सामने रखने का आरोप लगाते हुए अमित शाह ने कहा कि ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि जिन्होंने गलतियां की थी, इतिहास लिखने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास थी और उन्होंने अपनी गलतियों को छुपा दिया। शाह ने कहा कि 'अब समय आ गया है कि इतिहास सच्चा लिखा जाए और सच्ची जानकारी जनता को दी जाए।' कश्मीर समस्या के लिए पूरी तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए शाह ने कहा कि आजादी के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरकार बल्लभ भाई पटेल ने 631 में से 630 रियासतों का विलय आसानी से कर दिया, सिर्फ एक कश्मीर की रियासत की जिम्मेदारी नेहरू के पास थी।
जवाहर लाल नेहरू ने की भयंकर गलती
शाह के अनुसार कश्मीर में युद्धविराम की घोषणा नेहरू की बड़ी गलती थी। यदि युद्धविराम नहीं किया गया होता, तो आज पूरा कश्मीर भारत के पास होता। लेकिन उससे भी भयंकर गलती इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाना था। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र संघ में जिस प्रावधान के तहत इसे ले जाया गया, विवादित इलाके को लेकर था। जबकि सच्चाई यह थी कि महाराजा ने जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय किया था और पाकिस्तान ने उस पर जबरन कब्जा किया था और भारत को अपनी जमीन के जबरन कब्जे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में जाना चाहिए था।
कांग्रेस ने शेख अब्दुल्ला को 10 साल तक जेल में रखा
तीन मूर्ति भवन में पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच की पांचवी व्याख्यान माला में बोलते हुए अमित शाह ने घाटी में पाबंदियों को लेकर फैलाये जा रहे झूठ का भी पर्दाफाश किया। शाह ने कहा कि घाटी में कहीं भी कर्फ्यू नहीं है, 196 थाना क्षेत्रों में से केवल आठ में धारा 144 लागू है, जिसके तहत चार से अधिक लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। घाटी में राजनेताओं की गिरफ्तारी को लेकर सरकार की आलोचना को खारिज करते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस से शासनकाल में शेख अब्दुल्ला को 10 साल तक जेल में रखा गया था, लेकिन तब किसी ने नेहरू से नहीं पूछा था कि किस धारा के तहत उन्हें जेल में रखा गया है। उन्होंने घाटी में हालात पूरी सामान्य होने का दावा करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद घाटी में विकास की नई बयान शुरू होगी और अगले एक दशक में जम्मू-कश्मीर भारत का सबसे विकसित राज्य बनकर उभरेगा।