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रीटा हार गई मौत से जंग, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी था नाम दर्ज, पढ़िए- पूरी स्टोरी

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज करवाने वाली 59 वर्षीय रीटा ने मंगलवार को चिड़ियाघर में अंतिम सांस ली। वह काफी समय से बीमार चल रही थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 02 Oct 2019 07:56 AM (IST)
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रीटा हार गई मौत से जंग, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी था नाम दर्ज, पढ़िए- पूरी स्टोरी

नई दिल्ली [किशन कुमार]। राष्ट्रीय चिड़ियाघर की शान व एशिया की सबसे उम्रदराज चिंपैंजी रीटा की मौत हो गई। लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज करवाने वाली 59 वर्षीय रीटा ने मंगलवार को चिड़ियाघर में अंतिम सांस ली। वह काफी समय से बीमार चल रही थी। गत 27 जुलाई से रीटा ने खाना-पीना छोड़ रखा था। वह सिर्फ तरल पदार्थ पर जीवन जी रही थी। प्रशासन की ओर से मौत का कारण कई अंगों का फेल होना बताया जा रहा है, हालांकि स्पष्ट कारण बरेली के आवीआरआइ अस्पताल से पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।

रीटा का जन्म 16 दिसंबर 1960 में एम्स्टर्डम के चिड़ियाघर में हुआ। फरवरी 1964 में उसे दिल्ली के चिड़ियाघर में लाया गया। इसके बाद रीटा को एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जनवरी 1990 में पंजाब के छत्तबीर चिड़ियाघर भेजा गया था। बाद में 7 नवंबर 2006 रीटा को दोबारा दिल्ली लाया गया था। रीटा ने शुरू से अपना जीवन अकेले ही बिताया। पहले रीटा को साथी के रूप में मैक्स चिंपैंजी मिला। जिससे इसे तीन बच्चे हुए, लेकिन दुर्भाग्यवश तीनों बच्चे कुछ दिनों के अंतराल में मर गए। वहीं, मैक्स भी हमेशा के लिए अलविदा कह गया। इसके बाद इस चिंपैंजी के बाड़े में मनी चिंपैंजी पहुंचा। बताया जाता है कि रीटा मनी चिंपैंजी को अपना बच्चा मानती थी, लेकिन एक समय बाद उसकी भी मौत हो गई। जिसके बाद से रीटा मायूस रहने लगी थी। धीरे-धीरे बुढ़ापे के साथ बीमारियों ने रीटा को घेर लिया था।

16 दिसंबर को मनाती अपना 60वां जन्मदिवस

चिड़ियाघर की इस वन्यजीव का आगामी 16 दिसंबर को 60वां जन्मदिवस था। जिसको लेकर प्रशासन ने तैयारी कर रखी थी। यदि रीटा 60 वर्ष की हो जाती तो चिड़ियाघर के इतिहास में इतना लंबा जीवन बिताने का एक नया अध्याय जुड़ जाता।

आम का जूस व अमरूद था पसंद

रीटा को आम का जूस व अमरूद सबसे अधिक पसंद था। यही कारण था कि अपने आखिरी दिनों में भी उसने आम जूस का सेवन किया था।राष्ट्रीय चिड़ियाघर की इस शान के जाने के बाद चिड़ियाघर के कर्मियों में भी शोक है। निदेशक रेणु सिंह ने बताया कि यह चिंपैंजी उनके परिवार का हिस्सा थी। इससे उन्हें विशेष लगाव था। वह आवाज सुनते ही दौड़ी चली आती थी।

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