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अगर दिवाली पर घर को पेंट से चमकाने की चल रही है तैयारियां तो हो जाए सर्तक

दिवाली से पहले अगर आप भी अपने घर को पेंट करके चमकाना चाहते हैं तो सावधानी बरतने की जरूरत है। दीवारों को खूबसूरत बनाने वाला पेंट आपको और आपके बच्चों को बीमार बना रहा है।

By Pooja SinghEdited By: Updated: Thu, 24 Oct 2019 11:12 AM (IST)
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अगर दिवाली पर घर को पेंट से चमकाने की चल रही है तैयारियां तो हो जाए सर्तक
नई दिल्ली, जेएनएन। दिवाली से पहले अगर आप भी अपने घर को पेंट करके चमकाना चाहते हैं तो सावधानी बरतने की जरूरत है। दीवारों को खूबसूरत बनाने वाला पेंट आपको और आपके बच्चों को बीमार बना रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था टॉक्सिक लिंक के नए अध्ययन में सामने आया है कि घरों में इस्तेमाल हो रहे पेंट में जहरीले तत्वों वाले लेड की मात्र निर्धारित से हजार गुना से भी अधिक है।

टॉक्सिक लिंक का कहना है कि नमूनों की जांच के लिए रेंडम तरीके से दिल्ली, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पंजाब और ओडिशा के बाजारों में उपलब्ध पेंट के डिब्बे लिए थे। सभी में लेड की मात्र निर्धारित से ज्यादा मिली है। हाउसहोल्ड एंड डेकोरेटिव पेंट रूल्स-2016 के मुताबिक घरों में इस्तेमाल होने वाले पेंट में लेड की मात्र 90 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। लेकिन पेंट के डिब्बों में इनकी मात्र 180 पीपीएम से लेकर 109289 पीपीएम तक मिली है। यहां तक कि जिन डिब्बों पर ‘नो एडेड लेड’ या ‘लेस देन 90 पीपीएम’ भी लिखा था, उसमें भी लेड का स्तर पांच सौ गुने से भी ज्यादा मिला है।

टॉक्सिक लिंक के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा के मुताबिक पेंट में लेड का इस्तेमाल मनुष्यों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी घातक है। खासतौर पर छह साल से छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए यह बेहद हानिकारक माना जाता है।

 

लेड शरीर के सभी अंगों को करता है प्रभावित

लेड सभी के लिए खतरनाक है। यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। छोटे बच्चों में लेड डिस्लेक्सिया, एंटी सोशल बिहेवियर, हाइपरटेंशन, परमानेंट न्यूरोलॉजिकल इंजरी की वजह बनता है। गर्भवती महिलाओं पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ता है। 1999 में हुए सर्वे के मुताबिक, शहरी क्षेत्र में रहने वाले 12 साल तक के 51 फीसद बच्चों के खून में लेड का स्तर 10 माइक्रोग्राम पर मिलीलीटर है। लेड वाले पेंट का असर सालों साल लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसे हटाने के बाद भी इसका असर लंबे समय तक बना रहता है।

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