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केजरीवाल सरकार की 'फरिश्ते योजना' पर दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी, जानें- क्या कहा

दिल्ली HC ने कहा कि फरिश्ते योजना अच्छी है लेकिन दलालों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि दलालों ने इस योजना को हथिया लिया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 31 Oct 2019 10:19 AM (IST)
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केजरीवाल सरकार की 'फरिश्ते योजना' पर दिल्ली HC ने की अहम टिप्पणी, जानें- क्या कहा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सरकारी अस्पतालों की समस्या और भ्रष्टाचार को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एजे भंभानी व न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी की पीठ ने कहा कि फरिश्ते योजना अच्छी है, लेकिन दलालों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि दलालों ने इस योजना को हथिया लिया है। इसके जवाब में दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि इससे दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की सच में मदद करने वालों का उत्साह बढ़ता है। इस दलील पर पीठ ने कहा कि ऐसा कहना गलत नहीं है कि कोई व्यक्ति घर में गिरता है तो दलाल उसे भी अस्पताल ले जाते हैं। इससे अस्पताल में भीड़ बढ़ रही है, जहां सबसे कमजोर वर्ग का व्यक्ति इलाज कराने आता है।

दो सदस्यीय पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार व हाई कोर्ट द्वारा गठित की गई विशेषज्ञों की कमेटी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने पीठ से मामले में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो महीने और समय देने की मांग की।

दिल्ली हाई कोर्ट ने 6 जून को कमेटी को 4 महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता ने दलील दी कि जानकारी जुटाने में कमेटी को अस्पतालों से सहयोग नहीं मिल रहा है। अधिवक्ता ने सहयोग न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की लेकिन पीठ ने मांग को ठुकराते हुए कहा कि रिपोर्ट दायर करने की प्रक्रिया चलती रहेगी। अब आपको सही मुद्दे पर बात करनी चाहिए।

यह है मामला

मधुबाला के बच्चे की मौत जीटीबी अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर नहीं मिलने के कारण गर्भ में ही हो गई थी। अस्पताल की लापरवाही के कारण तीन दिन तक उनका मृत बच्चा पेट में ही रहा और उनकी जान को भी खतरा हो गया। इसके बाद मधुबाला ने अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा के माध्यम से जीटीबी अस्पताल समेत पांच बड़े सरकारी अस्पताल के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में 35 सरकारी अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था की रिपोर्ट पेश की गई थी। अस्पतालों में एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (एएमसी), कॉम्प्रीहेंसिव मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (सीएमसी) उपलब्ध नहीं हैं। फर्जी कंपनियों के द्वारा उपकरण की खरीद होती है और इसके कारण एएमसी व सीएमसी उपलब्ध नहीं है।

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