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1988 में दिल्ली में ऐसा क्या हुआ था जिसे अब तक नहीं भुला पाए लाखों पुलिसवाले

Delhi Police vs Lawyers 1988 में तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस वालों के बीच संघर्ष हुआ था। उस समय किरण बेदी डीसीपी थीं। उन्होंने पुलिसवालों का साथ दिया था।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 06 Nov 2019 08:34 AM (IST)
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1988 में दिल्ली में ऐसा क्या हुआ था जिसे अब तक नहीं भुला पाए लाखों पुलिसवाले
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Delhi Police vs Lawyers: देश की राजधानी में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच भिड़ंत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच छिटपुट घटनाएं होती रही हैं, लेकिन पिछले सप्ताह 2 नवंबर को हुआ मामला बिल्कुल साल 1988 जैसा है। तब यानी 1988 में तीस हजारी कोर्ट परिसर में ही वकीलों और पुलिस वालों के बीच जमकर संघर्ष हुआ था।

तब वकीलों की हुई थी जमकर पिटाई

उस समय किरण बेदी (Kiren Bedi) डीसीपी थीं और उन्होंने पुलिसवालों का साथ दिया था। 1988 में तीस हजारी कोर्ट परिसर में विवाद के बाद लाठीचार्ज कर वकीलों को भी पीटा गया था। तब किरण बेदी ने पुलिसवालों का पक्ष लिया था, इसलिए आज ये पुलिसवाले किरण बेदी के नाम का नारा लगा रहे हैं। इसके अलावा, दीपक मिश्रा जैसे पुलिस अफसर की मांग उठ रही है। 

बेहद निडर होकर किया था किरण बेदी ने काम

दरअसल, दिल्ली पुलिस ट्रैफिक की मुखिया रहने के दौरान किरण बेदी ने बेहद निडर होकर काम किया। इसकी सराहना देश के बाहर तक हुई और उन्हें पुलिस महकमे में बेहतर काम के लिए मैगसेसे पुरस्कार तक मिला। बता दें कि किरण बेदी ने तिहाड़ जेल और कैदियों की दशा में सुधार के लिए जो कदम उठाए। पुलिसवालों का मानना है कि वकीलों ने पुलिसवालों के साथ ज्यादती की, पीटा गया और अब लगातार हम पर ही हमले हो रहे हैं, लेकिन हमें रोका गया है।

कुछ पुलिसवालों का यह भी मानना है कि शनिवार के बाद भी पुलिसवालों पर हमले जारी हैं। इस बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें कुछ लोग पुलिसवाले की पिटाई कर रहे है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि अगर यह वीडियो सही है तो इससे हमारे बच्चों और परिवार पर क्या असर पडे़गा? 

यह है पूरा मामला

यहां पर बता दें कि शनिवार (2 नवंबर) को शाम को दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच पार्किंग को लेकर भिड़ंत हो गई थी। इसके बाद वहां पर हिंसक प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस और वकील दोनों घायल हुए। हालांकि, पुलिस और वकीलों की बीच कई बार बैठक हुई, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर समझौता नहीं हो पाया। मंगलवार को मामला इतना गरमा गया कि हजारों पुलिसवाले अपने ही महकमे के मुखिया के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं और उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। 

ये हैं पुलिसकर्मियों की मांगें 

  • सभी स्तर के जजों की पुलिस सुरक्षा वापस ली जाए।
  • हिंसा में शामिल सभी वकीलों पर आपराधिक मुकदमा चले।
  • हिंसा से प्रभावित सभी पुलिस ऑफिसर्स द्वारा की गई शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया जाए।
  • अदालतों और वकीलों से असहयोग।
  • अदालतों से पूर्ण रूप से पुलिस सुरक्षा हटाई जाए।
  • ट्रैफिक पुलिस वकीलों से कोई नरमी ना बरते।
  • वकीलों और उनके स्टाफ की दिल्ली के तमाम थानों व पुलिस कार्यालय में एंट्री बंद हो।
  • पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मियों के लिए पुलिस प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो।
  • दिल्ली पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के लिए संगठन बहाल हो।
  • दिल्ली की सरकार को कोई पुलिसकर्मी सहयोग न करे।
Delhi Police vs Lawyers: जानें- कैसे मामूली झगड़ा बना इतना बड़ा मुद्दा, वकील-पुलिस दोनों सड़कों पर

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