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Indian Railway: सर्दियों के दौरान ट्रेन हादसे रोकने के लिए हैंड हेल्ड तकनीक का होगा इस्तेमाल

Indian Railway रेलवे ट्रैक की निगरानी बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही गश्त करने वाले कर्मचारियों को आधुनिक उपकरण से लैस किया जा रहा है।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 22 Nov 2019 10:10 AM (IST)
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Indian Railway: सर्दियों के दौरान ट्रेन हादसे रोकने के लिए हैंड हेल्ड तकनीक का होगा इस्तेमाल
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। सर्दी के दिनों में रेल प्रशासन के सामने सुरक्षित रेल परिचालन बड़ी चुनौती होती है। कोहरे की वजह से दृश्यता कम होने के साथ ही इस मौसम में पटरियों के चटकने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। इन वजहों से रेल परिचालन बाधित होने के साथ ही दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ट्रैक की निगरानी बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही गश्त करने वाले कर्मचारियों को आधुनिक उपकरण से लैस किया जा रहा है। अब वह जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) आधारित हैंड हेल्ड उपकरण लेकर चलेंगे। इस उपकरण के जरिये वह दो रेल स्टेशनों के संपर्क में रहेंगे। इससे किसी भी आपात स्थिति की सूचना वह बिना समय बर्बाद किए संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकेंगे।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत में सर्दी ज्यादा पड़ती है, जिससे विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है। पटरियों के आंतरिक नुकसान का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनिक फ्लोड टेस्टिंग मशीन (यूएसएफडी) का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक तीन महीने पर हर सेक्शन में इस मशीन से पटरियों की जांच की जाती है। ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली से भी इस तरह की खामी को पहचानने में मदद मिलती है। इन सबके बावजूद रेल पटरी की निगरानी करने वाले ट्रैक मैन, की मैन, गैंगमैन जैसे रेल कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह नियमित रूप से विशेषकर देर रात व सुबह पटरियों की जांच करके सुरक्षित रेल परिचालन को यकीनी बनाते हैं।

रेलवे ट्रैक की निगरानी करने वाले गश्ती दल को एक पुस्तिका दी जाती है, जिसमें उसके कार्य का विवरण भरा जाता है। इस पुस्तिका को वह अपने कार्यक्षेत्र समाप्त होने पर वहां से आगे की जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारियों को सौंप देते हैं। इसी के आधार पर यह पता चलता है कि उन्होंने ईमानदारी से ड्यूटी की है या नहीं। अब उन्हें इस तरह की पुस्तिका लेकर चलने की जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि जीपीएस आधारित उपकरण से वह अपने अधिकारियों के संपर्क में रहेंगे। इससे उनकी लोकेशन का पता चलता रहेगा। इसके साथ ही उन्हें पटरी में किसी तरह की गड़बड़ी की जानकारी रेलवे स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों को देने में मदद मिलेगी। जल्द जानकारी मिलने से समय रहते उचित कदम उठाया जा सकता है जिससे रेल हादसों को रोकने में मदद मिलेगी। इस तरह की सुविधा अबतक रेल चालकों व गार्ड को मिलती थी।

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