एनजीटी के आरओ पर आदेश को लेकर सरकार के पास जाएं : सुप्रीम कोर्ट
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने पानी में टीडीएस की मात्र 500 एमजी प्रति लीटर से कम होने की स्थिति में रिवर्स ओस्मोसिस (आरओ) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Sat, 23 Nov 2019 08:41 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए निर्माताओं के संगठन को सरकार से संपर्क करने को कहा है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने पानी में टीडीएस की मात्र 500 एमजी प्रति लीटर से कम होने की स्थिति में रिवर्स ओस्मोसिस (आरओ) के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।
शीर्ष कोर्ट आरओ निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस संगठन ने एनजीटी के आदेश को चुनौती दी थी। सरकार को वाटर प्योरीफायर्स के इस्तेमाल को नियंत्रित करने और पानी में खनिज की मात्र खत्म होने के दुष्प्रभावों के बारे में जनता को अवगत कराने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि संगठन दस दिन के भीतर इस मामले में सारे तथ्यों के साथ संबंधित मंत्रलय से संपर्क कर सकता है और सरकार एनजीटी के निर्देश के अनुरूप कोई अधिसूचना जारी करने से पहले उस पर विचार करेगी।
सुनवाई के दौरान संगठन के वकील ने देश के विभिन्न शहरों में पानी के मानकों के बारे में बीएसआइ की हाल की रिपोर्ट का हवाला दिया। वकील ने कहा कि दिल्ली के भूजल में भारी धातु की मौजूदगी के संकेत इस रिपोर्ट में दिए गए हैं।एनजीटी ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि जिन स्थानों पर आरओ की अनुमति दी गई है वहां 60 फीसद से अधिक जल संग्रहित करना अनिवार्य किया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्ययन के अनुसार, प्रति लीटर 300 एमजी से कम टीडीएस की मौजूदगी वाले जल को बहुत उत्तम माना जाता है जबकि 900 एमजी प्रति लीटर टीडीएस को निम्न स्तर का और 1200 एमजी प्रति लीटर से ऊपर टीडीएस वाले जल को अस्वीकार्य बताया था। एनजीटी ने अपनी ओर से गठित समिति की रिपोर्ट पर यह आदेश दिया था। इस संबंध मे पर्यावरण एवं वन मंत्रलय को भी निर्देश दिया था।
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