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Trade Fair में विदेशी सामानों को टक्कर दे रहे देसी उत्पाद, 3 लाख की शॉल बनी आकर्षण का केंद्र

39वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला आकार में भले ही छोटा हो लेकिन बेजोड़ कारीगरी के नमूने यहां देखने को मिल रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 26 Nov 2019 10:24 AM (IST)
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Trade Fair में विदेशी सामानों को टक्कर दे रहे देसी उत्पाद, 3 लाख की शॉल बनी आकर्षण का केंद्र

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। 39वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला आकार में भले ही छोटा हो, लेकिन बेजोड़ कारीगरी के नमूने यहां देखने को मिल रहे हैं। विदेशी स्टॉलों पर प्रदर्शित चीजें तो आकर्षित करती ही हैं, साथ ही राज्यों के मंडपों में स्थानीय कलाकारों की प्रतिभा भी देखते ही बनती है।

बहुत सा सामान मेले में ऐसा भी देखने को मिल रहा है जिसे देखकर सहसा मुंह से निकल जाता है, अरे वाह, क्या बात है। अगर आप अब तक मेले में नहीं गए हैं और जाने की सोच रहे हैं तो इन चीजों को देखना न भूलें।

बांस और लौकी के खोल से ग्रामीणों ने बनाया नाइट लैंप

हॉल नंबर- 7 में लगी हुनर हाट में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण कलाकारों ने बांस और लौकी के खोल को आपस में मिलाकर कई उत्पाद बनाए हैं। इनमें सबसे आकर्षक है नाइट लैंप। यह लैंप न केवल देखने में अच्छा लगता है, बल्कि रोशनी भी पूरी देता है।

पोर्टेबल आटा चक्की भी कर रही दर्शकों को आकर्षित

हॉल नंबर-11 में लगे विदेशी मंडप में पोर्टेबल आटा चक्की दर्शकों को लुभाती है। जर्मनी की बनी यह चक्की महज 360 वाट पर आटा पीसती है। इस चक्की से एक घंटे में आठ किलो आटा पिसता है। खास बात यह है कि इस चक्की से केवल आटा ही नहीं, बल्कि अन्य अनाज भी पीसा जा सकता है।

किलो के भाव से खरीदिए क्रॉकरी

विदेशी मंडप में इथोपिया के स्टॉल पर प्लास्टिक की क्रॉकरी 449 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदी जा सकती है। इसमें मुख्यतया कटोरी और डोंगे हैं। वैसे इस स्टॉल पर कांच और बोन चाइन की भी क्रॉकरी उपलब्ध है।

तीन लाख रुपये की शॉल

हॉल संख्या-7 के सामने बने हैंगर में जम्मू-कश्मीर की एक स्टॉल पर तीन लाख रुपये की कीमत की पशमीना शॉल भी आकर्षण का केंद्र है। बताया जाता है कि पशमीना शॉल को बनाने में कई साल भी लग जाते हैं। इसे बनाता भी एक ही कारीगर है। अगर कई कारीगरों के हाथ लग जाएं तो उस शॉल का डिजाइन बिगड़ जाता है।

झारखंड मंडप में साड़ी को तैयार होते हुए देखें

हॉल नंबर-12 में लगे झारखंड मंडप में आदिवासी साड़ी को तैयार होते देखना भी अनूठा अनुभव है। सराकेला निवासी दामू बोदरा बताते हैं कि झारखंड की इस आदिवासी साड़ी की खासियत यह है कि इसके किनारे को देखकर यह भी पता लगाया जा सकता है कि साड़ी पहनने वाली महिला शादीशुदा है या अविवाहित। विवाहित महिलाओं की साड़ी का किनारा लाल रंग का होता है, जबकि अविवाहित महिलाएं हरे रंग के किनारे वाली साड़ी पहनती हैं।

सेल्फी कॉर्नर की भरमार

नवीनीकरण कार्य के चलते व्यापार मेले में जगह कम होने के बावजूद सेल्फी कॉर्नर की भरमार है। कुछ सेल्फी कॉर्नर भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद की ओर से बनाए गए हैं तो कुछ राज्य मंडपों की ओर से। सभी जगह दर्शक सेल्फी लेते नजर आते हैं। मसलन, गांधी जी को समर्पित विशेष मंडप में उनकी प्रतिमा के साथ, बिहार मंडप में गौतम बुद्ध की प्रतिमा के साथ, हरियाणा मंडप में बड़ी सी गीता के साथ सेल्फी का क्रेज देखते ही बनता है।

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