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Motor Vehicle Act: राज्यों को मोटर जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं, कई प्रदेशों को झटका

Motor Vehicle Act राज्य केवल उन्हीं उल्लंघनों में जुर्माना कम कर सकते हैं जिनमें हादसों का ग्राफ नीचे गिर रहा हो।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sat, 30 Nov 2019 04:09 PM (IST)
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Motor Vehicle Act: राज्यों को मोटर जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं, कई प्रदेशों को झटका

नई दिल्ली [संजय सिंह]। राज्य सरकारों को मोटर एक्ट के तहत कंपाउंडेबल अपराधों में जुर्माना घटाने का मनमाना अधिकार नहीं मिल सकता। ये अधिकार राज्य में मोटर अपराध से संबंधित दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर निर्भर है। यदि किसी राज्य में अपराध विशेष से संबंधित सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं तो उस पर जुर्माना कम नहीं किया जा सकता। राज्य केवल उन्हीं उल्लंघनों में जुर्माना कम कर सकते हैं जिनमें हादसों का ग्राफ नीचे गिर रहा हो। ये राय विधि मंत्रालय ने मोटर एक्ट पर जुर्माना घटाने के राज्यों के अधिकार के बाबत सड़क मंत्रालय को दी है। यह राय गुजरात समेत उन राज्यों के लिए बड़ा झटका है जिन्होंने अपने यहां बढ़े जुर्माने लागू करने से इनकार कर दिया था।

कई राज्‍यों ने किया था मना
गुजरात के अलावा उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल ने 1 सितंबर से लागू मोटर एक्ट के बढ़े जुर्मानों को लागू करने से कर मना दिया था और कंपाउंडेबल अपराधों में धारा 200 के प्रावधानों के अनुसार कम जुर्माने वसूलने का एेलान किया था। उत्तर प्रदेश ने भी नए जुर्मानों की अधिसूचना जारी करने में आनाकानी का रवैया अपनाया था।

दुर्घटनाओं में बढ़ रही मौत की संख्‍या

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यों के रवैये पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि राज्य जुर्माना घटा सकते हैं लेकिन बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को भी ध्यान में रखना होगा जो लगातार बढ़ रही हैं। देश में हर साल पांच लाख दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं। गडकरी ने ये बात तब कही थी जब 2018 के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े नहीं आए थे। अब ये आ चुके हैं जिनसे दुर्घटनाओं और मौतों में और बढ़ोतरी का संकेत मिलता है।

सड़क मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से मांगी थी राय

गडकरी के बयान के बाद सड़क मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से राय मांगी थी। सूत्रों के अनुसार विधि मंत्रालय का कहना है किसी राज्य को कंपाउंडेबल अपराधों में भी जुर्माने घटाने का असीमित अधिकार नहीं मिल सकता। यह उस राज्य में उक्त श्रेणी की (जिसमें जुर्माना घटाना हो) दुर्घटनाओं के आंकड़ों से तय होगा। मोटर एक्ट की धारा 174 से लेकर 198 तक के अपराध कंपाउंडेबल श्रेणी में आते हैं जिनमें कोर्ट में चालान भेजे बगैर पुलिस मौके पर जुर्माना वसूल सकती है।

ऐसे समझें क्‍या है अपराध कंपाउंडेबल

उदाहरण के लिए बिना हेलमेट दुपहिया चलाने पर पहली बार 500 रुपये और दुबारा, तिबारा बार पकड़े जाने पर 5000 रुपये तक के जुर्माने व तीन माह की जेल तक का प्रावधान है। इसमें कोई राज्य तभी जुर्माना घटा सकता है जब वहां बिना हेलमेट दुपहिया चालकों की मौतें कम हो रही हों। यदि मौतें बढ़ रही हैं तो राज्य जुर्माना नहीं घटा सकता।

जानिए, क्‍यों पड़ी इसकी जरूरत

इसी प्रकार जिन अपराधों में जुर्माने की राशि न्यूनतम से लेकर अधिकतम तक निर्धारित हो उनमें राज्य को न्यूनतम राशि से कम जुर्माना वसूलने की आजादी नहीं है। विधि मंत्रालय का स्पष्ट मानना है कि संसद द्वारा पारित कानून को उसकी भावना के अनुरूप ही लागू किया जाना चाहिए और संशोधित मोटर एक्ट 2019 का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है न कि जस का तस रखना या दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी को बढ़ावा देना।

मोटर एक्ट पारित होने के बाद सड़क मंत्रालय फिलहाल इसकी 63 धाराओं को 1 सितंबर से लागू करने की अधिसूचना जारी कर चुका है। ये वे धाराएं हैं जिनके नियम बनाये जाने की आवश्यकता नहीं है। बाकी जिन धाराओं के लिए नियम बनाये जा रहे हैं, उन्हें धीरे धीरे लागू किया जाएगा। अभी विभिन्न संगठनों के साथ इससे सबंधित चर्चाएं चल रहीं हैं।

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