मजबूरी में सड़क किनारे खुले में रात गुजारने वालों लोगों के लिए खुशखबरी, पढ़े पूरी खबर
अपनों का एम्स में इलाज कराने दिल्ली आने वाले कई लोगों को मजबूरी में सड़क किनारे खुले में रात गुजारनी पड़ती है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अपनों का एम्स में इलाज कराने दिल्ली आने वाले कई लोगों को मजबूरी में सड़क किनारे खुले में रात गुजारनी पड़ती है। ऐसे लोगों को रविवार से राहत मिलने जा रही है। दिल्ली सरकार के तहत काम कर रहे दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) ने एम्स के पास रैन बसेरा तैयार किया है। इसमें अभी 200 लोग लेट सकेंगे। इसे एक दिसंबर से शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा दूसरा रैन बसेरा निगमबोध घाट के पास भी शुरू किया जाएगा।
डूसिब की कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों को रैन बसेरे उपलब्ध कराए जाएं। इसके लिए 16 बचाव दल गठित किए गए हैं। डूसिब का अपना एप भी है जिस पर लोग बेघरों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। इसके लिए आप गूगल प्ले स्टोर में जाकर डूसिब रैन बसेरा के नाम पर एप को लोड कर सकते हैं। एप पर बेघरों के बारे में सूचना दी जा सकेगी। संबंधित बेघर के बारे में फोटो खींचकर स्थान के बारे में सूचना देने पर बचाव दल वहां पहुंचकर बेघर को रैन बसेरे में लेकर आएगा। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछली बार जनवरी में इस एप शुरू किया गया था। जो काफी सफल रहा है। इस बार अभी से ही इसे शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा ठंड बढ़ने पर सप्ताह में दो बार डॉक्टर रैन बसेरे में दौरा करेंगे।
रैन बसेरों में लोगों को बंकर बेड, कंबल, गद्दा व तकिया उपलब्ध कराया जाएगा। बंकर बेड पर ऊपर नीचे दो लोग सो सकते हैं। इसके अलावा कुछ स्थानों पर फोलिं्डग चारपाई व तख्त भी उपलब्ध जाएंगे। ठंड को देखते हुए अतिरिक्त बनाए जाने वाले रैन बसेरों के लिए डूसिब ने काम शुरू कर दिया है।
दिल्ली में हैं 193 स्थायी रैन बसेरे :डूसिब बेघरों के लिए रैन बसेरा चलाता है। दिल्ली में 193 रैन बसेरे स्थायी रूप से बने हैं। जिनकी क्षमता 17 हजार है। पिछले 15 दिनों से बेघर इनमें बढ़ने लगे हैं। जिन्हें देखते हुए टेंटों में 70 रैन बसेरे बनाए जाने का फैसला लिया गया है। डूसिब के सदस्य विपिन राय कहा कि लोग यदि किसी गरीब की मदद करना चाहते हैं तो रैन बसेरे में करें। उन्होंने कहा कि कंबलों की कमी नहीं है। रैन बसेरों में बहुत कंबल हैं।