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Nirbhaya Verdict: फांसी से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पवन को झटका, खारिज हुई SLP

2012 Delhi Nirbhaya Case निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला आ गया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 20 Jan 2020 03:28 PM (IST)
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Nirbhaya Verdict: फांसी से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पवन को झटका, खारिज हुई SLP
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। 2012 Delhi Nirbhaya Case : निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की स्पेशल लीव पेटिशन (Special Leave Petition) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। ऐसे में एक फरवरी को लगने वाली फांसी को लेकर रास्ता साफ हो गया है।  

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए सोमवार को पवन कुमार गुप्ता के वकील एपी सिंह के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनका मुवक्किल नाबालिग है।

सुनवाई शुरू होते ही एपी सिंह ने दोषी पवन की ओर से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि 16 दिसंबर, 2012 को पवन कुमार गुप्ता की उम्र 17 साल एक महीने और 20 दिन थी। साथ ही यह भी तर्क रखा कि जब यह अपराध हुआ तो वह नाबालिग था। इसी के साथ यह भी कहा कि अपराध के समय वह एक किशोर था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस तथ्य की अनदेखी की।

बता दें कि सोमवार को पवन की तरफ से पेश वकील एपी सिंह ने तीन जजों की बेंच आर. भानुमती, अशोक भूषण और बोपन्ना के सामने अपना पक्ष रखा था। 

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर दावा किया था कि जिस समय यानी 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली के वसंत विहार में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई, उस समय पवन कुमार गुप्ता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। यह अलग बात है कि कोर्ट ने निर्भया की याचिका खारिज कर दी थी।

याचिका खारिज होन पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्भया की मां ने कहा कि यह फांसी की सजा टालने की कोशिश  भर है। 1 फरवरी को तिहाड़ जेल में चारों दोषियों पवन कुमार गुप्ता, अक्षय सिंह ठाकुर, विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह को फांसी दी जाएगी। 

दोषी पवन कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर हाई कोर्ट के 19 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें HC ने फर्जी दस्तावेज देने और समन के बावजूद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के लिए उनके वकील की की आलोचना करने के साथ जुर्माना भी लगाया था। 

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने पवन की याचिका का खारिज करने के साथ उसके वकील एपी सिंह पर 25,000 का जुर्माना लगाने के साथ दिल्ली बार काउंसिल से कार्रवाई के लिए भी कहा था। कोर्ट ने यह जुर्माना समन जारी होने के बाद एपी सिंह के पेश नहीं होने के चलते लगाया था।