जानें आखिर क्यों और कैसे संदेहपूर्ण है फेसबुक और वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी
फेसबुक ने व्हाट्सएप का अधिकग्रहण कर इसकी प्राइवेसी पॉलिसी को बिना बताए बदल दिया। इसके खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के विचारधीन है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 20 Jan 2020 05:37 PM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। मैसेजिंग एप वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ दिल्ली निवासी छात्र कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेयस सेठी ने दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया था कि निजता को लेकर फेसबुक और वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी या निजता संबंधी नीति संदेहपूर्ण है, जिसमें बदलाव किए जाने की मांग की गई। फेसबुक ने वाट्सएप का अधिग्रहण किया था। जिसके बाद वाट्सएप के करोड़ों यूजर्स का डाटा सीधे फेसबुक को हस्तगत हो गया।
जबकि वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को फेसबुक ने परिवर्तित कर दिया। इसे लेकर 19 वर्षीय कर्मण्य सिंह सरीन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई और इस कृत्य को चुनौती दी। कर्मण्य ने बताया कि हमने तर्क रखा कि इस तरह नई पॉलिसी लागू करना गैरकानूनी है और यह पूरी तरह से यूजर्स की प्राइवेसी का हनन है। दिल्ली हाई कोर्ट से जब हमें इसमें राहत नहीं मिली तो हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
कर्मण्य का साथ उनके दोस्त श्रेयस सिंह सेठी ने भी दिया, जो कि तब विधि के छात्र थे। छात्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका की सुनवाई करते हुए फेसबुक और वाट्सएप को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और बाद में मामले की सुनवाई 5 जजों की संवैधानिक पीठ को सौंपने का आदेश दिया। कर्मण्य बताते हैं, फेसबुक ने जब वाट्सएप का अधिग्रहण किया और प्राइवेसी पॉलिसी बदल दी, तब स्पष्ट किया गया था कि यह अधिग्रहण उन मूल सिद्धांतों को नहीं बदलेगा जो वाट्सएप पर आधारित थे और अधिग्रहण के बाद भी वाट्सएप अलग और स्वायत्त रूप से कार्य करेगा।
वहीं, वाट्सएप ने स्पष्ट किया था कि फेसबुक के साथ हम एक साझेदारी बना रहे हैं जो हमें स्वतंत्र और स्वायत्त रूप से संचालन जारी रखने की अनुमति देगी। हमारे मौलिक मूल्यों और विश्वासों में बदलाव नहीं होगा..। लेकिन जो हुआ वह इस भावना से बहुत दूर था। फेसबुक ने अपने उपयोगकर्ताओं की निजता के साथ गंभीर रूप से समझौता करने का फैसला किया था।वाट्सएप की नई पॉलिसी आई तो फेसबुक ने यह कहा कि वाट्सएप यूजर्स के डाटा का इस्तेमाल फेसबुक अपने व्यावसायिक लाभ के लिए कर सकता है। यही नहीं, वाट्सएप की पुरानी नीति में शामिल एक नियम- इन्फॉर्मेशन वाट्सएप वाट्स नॉट कलेक्ट, को पूरी तरह से हटा दिया गया था। यानी अब यह स्पष्ट नहीं था कि यूजर की वे कौन सी सूचनाएं होंगी, जिन्हें वाट्सएप द्वारा कलेक्ट नहीं किया जाएगा। हमने कोर्ट में इसे चुनौती दी।
बकौल कर्मण्य, मेरे लिए यह प्रसंग अचरज भरा था। क्योंकि यूजर्स की सहमति के बिना, उन्होंने अपनी गोपनीयता नीति को पूरी तरह से बदल दिया था और यूजर बिना इसे जाने, बिना इसके परिणामों को जाने इस पर सहमति जताने को विवश थे। कोर्ट में जाने से पहले मैंने अपने सर्कल में इसकी जांच की और पाया कि मेरे चचेरे भाई जो एक डॉक्टर थे, मेरे पारिवारिक मित्र जो वकील थे, मेरे माता-पिता और अन्य शिक्षित पेशेवर जो मेरे परिचित थे, अनजाने में नई नीति के लिए सहमत हुए थे।
मेरा मानना था कि यह उपयोगकर्ताओं के विश्वास का उल्लंघन था। हो यह रहा था कि अब विज्ञापन से जुड़ें हितों सहित बेहद अस्पष्ट उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ता की जानकारी फेसबुक और इससे जुड़े अन्य मीडिया प्लेटफार्म के साथ साझा की जा रही थी। हमने इसे भी चुनौती दी। मैंने अपने अधिवक्ता मित्र प्रभास बजाज और श्रेयस सेठी से सलाह लेने के बाद इसे चुनौती देने का फैसला किया। कर्मण्य के अधिवक्ता ने बताया कि फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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