सद्दाम को HC से झटका, कहा- जंगल ही है हाथी का आवास, कभी-कभार कर सकता है मुलाकात
न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि 47 वर्षीय हाथी का महावत ऐसा कोई भी दस्तावेज दिखाने में असफल रहा जिससे यह साबित हो कि वह हाथी का मालिक है।
By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:53 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। महावत की तरफ से एक हाथी को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अहम टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि 47 वर्षीय हाथी का महावत ऐसा कोई भी दस्तावेज दिखाने में असफल रहा, जिससे यह साबित हो कि वह हाथी का मालिक है और हाथी महावत के बिना नहीं रह सकता। पीठ ने कहा कि एक हाथी को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है और रहने के लिए बड़े क्षेत्र के साथ-साथ चलने के लिए पर्याप्त जगह की जरूरत होती है। ऐसे में अदालत का मानना है कि हाथी के लिए जंगल ही प्राकृतिक आवास है।
पीठ ने कहा कि हाथी के अधिकारों और कथित महावत के बीच संघर्ष की स्थिति में हाथी के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाएगी। पीठ ने कहा कि हाथी पुनर्वास केंद्र हाथी की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए बेहतर है। हालांकि, पीठ ने महावत सद्दाम को हाथी से मुलाकात के लिए आवेदन करने की छूट दी है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता विल्स मैथ्यूस ने कहा कि यह हाथी दिल्ली निवासी है। वह 1995 से 2007 के बीच गणतंत्र दिवस से लेकर सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेता आ रहा है। इससे पहले सद्दाम ने जुलाई 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर वन्य जीव अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का आरोप लगाया था। सद्दाम ने आरोप लगाया था कि कब्जे में लेने के दौरान हाथी पर अधिकारियों ने पत्थर बरसाए थे।
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