दिल्ली के 48 अस्पतालों पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने लगाया जुर्माना
राजधानी के संस्थानों से नियमों को ताक पर रखने के चलते 1.34 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया है। यह जानकारी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की तरफ से एनजीटी को दी गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) और हिंदू राव अस्पताल सहित कुल 48 मेडिकल संस्थान बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2016 (बीएमडब्ल्यूएम) का पालन नहीं कर रहे हैं। राजधानी के इन संस्थानों से नियमों को ताक पर रखने के चलते 1.34 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया है। यह जानकारी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की तरफ से एनजीटी को दी गई है। एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर एनजीटी ने डीपीसीसी से जवाब मांगा था।
डीपीसीसी ने सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य पीठ को बताया कि दिल्ली में फिलहाल कुल 136 मेडिकल संस्थान चल रहे हैं, जिनके पास 50 से ज्यादा बैड की सुविधा है और एक होमियोपेथिक अस्पताल है। सभी के पास बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन और निस्तारण का संयुक्त वैध अनुबंध है।
इसके तहत सुरक्षित परिवहन और संबंधित सेंटर में पहुंचाकर कचरे का निपटारा किया जाता है। इनमें से 132 संस्थानों ने अपने लाइसेंस को नए नियमों के साथ बनवाने का आवेदन किया था और 97 संस्थानों को नए नियमों के तहत अधिकृत कर दिया गया था। 35 संस्थानों का आवेदन विचाराधीन है। इसके अलावा चार संस्थानों ने नए नियमों के तहत लाइसेंस लेने का आवेदन ही नहीं किया।
डीपीसीसी की तरफ से एनजीटी को बताया गया कि जिन चार संस्थानों ने अपना लाइसेंस रद होने के बाद भी नया आवेदन नहीं किया, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसके अलावा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के चलते 29 लाख 86 हजार 250 रुपये का मुआवजा भी लिया गया था।
डीपीसी ने याचिका पर सुनवाई के दौरान अपने जवाब में कहा कि 50 से ज्यादा बेड वाले 136 अस्पताल दिल्ली जल बोर्ड के सीवरेज सिस्टम के साथ जुड़े हुए हैं। हालांकि डीपीसीसी की तरफ से अस्पतालों को आदेश दिया गया था कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाए जाएं, ताकि कचरे का निपटान कर उसमें से उद्यान के इस्तेमाल में आने वाले पदार्थ अलग किए जा सकें।
डीपीसीसी के मुताबिक 131 संस्थानों ने एसटीपी लगवाए। इसके बाद सभी 136 संस्थानों को निर्देश दिया गया कि बीएमडब्ल्यूएम 2016 के तहत बार कोड सिस्टम लगाने को कहा गया था, लेकिन 85 संस्थानों ने ही इस सिस्टम को लागू किया। अब नियमों की अवहेलना करने के कारण 48 संस्थानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की एवज में 1 करोड़ 34 लाख 48 हजार 750 रुपये जुर्माना लगाया गया है।