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Nirbhaya Case: फांसी टलने से मेरठ रवाना होगा जल्लाद, लॉकअप में बंद हुईं मक्खन लगीं रस्सियां

Nirbhaya Case फांसी पर रोक के साथ शुक्रवार को हुए ट्रायल के बाद फांसी के दौरान इस्तेमाल में आने वाली रस्सियों को लॉकर में सुरक्षित रखवा दिया गया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 01 Feb 2020 08:54 AM (IST)
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Nirbhaya Case: फांसी टलने से मेरठ रवाना होगा जल्लाद, लॉकअप में बंद हुईं मक्खन लगीं रस्सियां

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। निर्भया मामले में चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक पटियाला हाउस की एक अदालत ने रोक लगा दी है। वहीं, फांसी टलने का एलान होते ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी देने की तैयारियों पर अगले आदेश तक विराम लगा दिया है। इसी के साथ शनिवार मेरठ से आया जल्लाद वापस मेरठ लौट जाएगा, उसे अगले आदेश की प्रतीक्षा के लिए कहा गया है। फांसी पर रोक के साथ शुक्रवार को हुए ट्रायल के बाद फांसी के दौरान इस्तेमाल में आने वाली रस्सियों को लॉकर में सुरक्षित रखवा दिया गया है। इससे पहले शुक्रवार की फांसी का डमी ट्रायल किया गया, जिसमें सुबह 6 बजे चारों की डमी को फांसी पर लटकाया गया।

निर्भया के दोषियों की फिर टली फांसी

बता दें कि निर्भया मामले में चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक पटियाला हाउस की एक अदालत ने रोक लगा दी है। दोषी पवन, विनय और अक्षय के अधिवक्ता एपी सिंह ने कानूनी उपचार बकाया होने का हवाला देते हुए डेथ वारंट पर रोक लगाने के लिए अर्जी दायर की थी। चौथे दोषी मुकेश के सभी विकल्प इस्तेमाल हो चुके हैं। कोर्ट ने 17 जनवरी को एक फरवरी के लिए डेथ वारंट जारी किया था। शुक्रवार को इस अर्जी पर लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। करीब चार घंटे के इंतजार के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया। साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन को आदेश दिया कि शनिवार को इस मामले की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करे।

सुबह से लेकर दोपहर तक हुई बहस

अधिवक्ता एपी सिंह की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि फांसी पर अनिश्चित काल तक रोक लगा देनी चाहिए। इस याचिका पर सुबह से लेकर दोपहर तक बहस हुई। तिहाड़ की तरफ से सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि दोषी विनय को छोड़कर किसी की भी दया याचिका या अन्य कोई याचिका विचाराधीन नहीं है। लिहाजा उसे छोड़कर तीन अन्य को शनिवार सुबह फांसी दी जा सकती है। तिहाड़ की इस दलील का विरोध करते हुए दोषी मुकेश की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस तरह अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती, जबकि एक मामले में सभी दोषियों को एक साथ डेथ वारंट जारी हुआ हो।

पढ़िए- जज की पूरी टिप्पणी

धर्मेन्द्र राणा (अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, पटियाला हाउस अदालत) ने कहा कि दोषियों द्वारा अपनाई गई कमजोर रणनीति पर टिप्पणी किए बगैर यह बताना होगा कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से किसी की शिकायतों का निवारण करना किसी भी सभ्य समाज की पहचान है। इस देश की अदालतें किसी भी दोषी के साथ प्रतिकूल रूप से भेदभाव करने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं, भले ही वह मौत की सजा पा चुका हो। अगर एक दोषी ने भी कोई अपील की है तो दूसरे की सजा भी स्थगित हो जाती है।

निर्भया की मां ने कहा, आखिरकार देनी हो होगी फांसी

वहीं, अदालत से बाहर  निर्भया की मां ने कहा कि हम लगातार सिस्टम से प्रताड़ित हो रहे हैं। दोषियों के वकील ने मुङो चुनौती दी है कि फांसी कभी नहीं होगी। मेरी लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी और सरकार को फांसी देनी ही होगी।