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गलत टिकट पर यात्री नजरबंद एयरलाइंस पर लगा जुर्माना

सेवा में कमी का यह मामला उपभोक्ता फोरम पहुंचा तो जेट एयरवेज और थॉमस कुक को सेवा में कोताही बरतने का दोषी पाया गया।

By Neel RajputEdited By: Updated: Tue, 04 Feb 2020 09:31 AM (IST)
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गलत टिकट पर यात्री नजरबंद एयरलाइंस पर लगा जुर्माना
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। दिल्ली से मकाउ घूमने गए यात्री को वापसी की टिकट गलत दे दिया गया। इसके चलते इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे नजरबंद कर वापस भेज दिया। इससे यात्री को वहां रहने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ा और फिर नया टिकट लेकर वापस आना पड़ा।

उपभोक्ता फोरम ने जेट एयरवेज और थॉमस कुक को पाया दोषी

सेवा में कमी का यह मामला उपभोक्ता फोरम पहुंचा तो जेट एयरवेज और थॉमस कुक को सेवा में कोताही बरतने का दोषी पाया गया। उपभोक्ता फोरम ने 50 हजार रुपये बतौर मानसिक प्रताड़ना मुआवजा, अतिरिक्त खर्च के 40 हजार 245 रुपये और 10 हजार रुपये बतौर केस खर्च यात्री को देने का आदेश दिया है।

इमीग्रेशन अधिकारियों ने लिया हिरासत में

ईस्ट ऑफ कैलाश निवासी कपिल कुमार मोंगा ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्होंने अपने मित्र के साथ मकाउ जाने के लिए थॉकस कुक से टिकट लिया था। वापसी का टिकट जेट एयरवेज का था। 7 जुलाई 2015 को दिल्ली से मकाउ गए और 11 जुलाई को वापसी थी। वापसी का रूट मकाउ से हांगकांग एयरपोर्ट और वहां से वियतनाम के हो-ची मिन्ह शहर का तय था। वह मकाउ एयरपोर्ट पहुंचे। जांच के दौरान वहां इमीग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। कारण बताया गया कि जिस विमान का टिकट उन्होंने दिखाया वह हांगकांग से चलता ही नहीं है।

16 हजार रुपये देकर खरीदी दूसरी टिकट

अधिकारियों ने उन्हें नजरबंद कर वापस मकाउ शहर भेज दिया। वहां जाकर फिर से होटल में कमरा लेना पड़ा, जिस पर 13 हजार 570 रुपये खर्च आया। वहां से ट्रेवल एजेंसी को फोन पर संपर्क किया गया तो जवाब मिला ही 16 हजार रुपये अतिरिक्त देकर दूसरी टिकट लेना होगा। अगले दिन नए टिकट से दिल्ली आ सके।

नहीं चली विमान कंपनी की दलील

विमान कंपनी ने फोरम को बताया कि हांगकांग में जाने पर उनका विवाद है। उनके यात्रियों को हांगकांग से वियतनाम एयरलाइंस हो-ची मिन्ह शहर लेकर आती है। फिर वहां से जेट एयरवेज यात्रियों को दिल्ली लाती है। यात्री के पास जो टिकट था, वह विमान हो-ची मिन्ह में था। यह प्रक्रिया कोड शेयर फ्लाइट के तहत की जाती है। अगर यात्री इमीग्रेशन अधिकारियों को बता देता तो इतनी समस्या नहीं होती। हालांकि फोरम ने यह दलील नहीं मानी।

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