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Nirbhaya Case: दोषियों को जल्द फांसी देने के मामले में हाईकोर्ट आज सुनाएगा फैसला

निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर जल्द फैसला देने की मांग को लेकर निर्भया के परिजनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में आवेदन दिया है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Wed, 05 Feb 2020 07:17 AM (IST)
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Nirbhaya Case: दोषियों को जल्द फांसी देने के मामले में हाईकोर्ट आज सुनाएगा फैसला
नई दिल्ली, प्रेट्र/ जेएनएन। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा पर रोक को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट बुधवार को आदेश सुनाएगा। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत (Justice Suresh Kumar Kait) ने शनिवार और रविवार को विशेष सुनवाई के बाद 2 फरवरी को केंद्र की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर चारों दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग की थी। केंद्र ने कोर्ट में तर्क दिया है कि चारों दोषी फांसी टालने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। 

निर्भया के परिजन भी पहुंचे हाई कोर्ट

निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर जल्द फैसला देने की मांग को लेकर निर्भया के परिजनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में आवेदन दिया है। अधिवक्ता जितेंद्र झा ने कहा कि केंद्र की याचिका पर पीठ तेजी से फैसला करे। गृह मंत्रालय की याचिका पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति सुरेश कैट की पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था।

निचली अदालत ने अगले आदेश तक फांसी पर लगाई है रोक

17 जनवरी को निचली अदालत ने दोषी मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार के खिलाफ एक फरवरी के लिए दूसरी बार डेथ वारंट जारी किया था। डेथ वारंट पर रोक लगाने के फैसले को गृह मंत्रालय ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने 2 फरवरी को गृह मंत्रालय की याचिका पर फैसला सुरक्षित किया था। याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। निर्भया के गुनहगारों की फांसी में और विलंब नहीं होना चाहिए।

वहीं, दोषी मुकेश की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि गृह मंत्रालय को याचिका दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है। क्योंकि वह मामले में पक्षकार नहीं है। उन्होंने दलील दी थी कि सभी दोषियों को कानूनी प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति दी जाए। तब तक उनकी फांसी पर कार्रवाई न की जाए।

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