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शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा सुनवाई

संशोधन नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Wed, 05 Feb 2020 04:20 PM (IST)
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शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा सुनवाई
नई दिल्‍ली, एएनआइ। किसी न किसी मसले की आड़ में सार्वजनिक स्थलों पर धरना प्रदर्शनों के जरिए गतिविधियों को ठप करने के बढ़ते प्रचलन पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिकाओं पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा। दिल्ली के पूर्व विधायक व भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग और अमित सैनी की ओर से दाखिल याचिका में यह भी मांग की गई है कि देश की शीर्ष अदालत केंद्र सरकार एवं अन्‍य को राजधानी दिल्‍ली के नजदीक शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने का उचित निर्देश जारी करे।  

नंद किशोर गर्ग की ओर से अधिवक्ता शशांक देव सुधि (Shashank Deo Sudhi) के जरिए दाखिल यह याचिका सोमवार को मुख्‍य न्‍यायाधीश की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ के समक्ष आई। मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने मामले को तत्‍काल सूचीबद्ध कराने के लिए याचिकाकर्ता को रजिस्‍ट्री से संपर्क करने के लिए कहा था। याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों की जिद से प्रशासनिक मशीनरी बंधक बन गई है। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली सड़क पर वाहनों और पैदल लोगों की आवाजाही बंद कर दी है। 

याचिका में कहा गया है कि यह बेहद निराशाजनक है कि उपद्रव के प्रति सरकारी मशीनरी चुप है और मूकदर्शक बनी हुई है। इससे लोकतंत्र के अस्तित्व और कानून के राज को खतरा पैदा हो रहा है। प्रदर्शनकारी कानून-व्यवस्था की स्थिति को पहले ही अपने हाथ में ले चुके हैं। शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन निश्चित तौर पर संवैधानिक मानकों के दायरे में है लेकिन इस प्रदर्शन ने उस वक्त अपनी कानून वैधता खो दी जब परोक्ष मकसद को साधने के लिए संविधान प्रदत्त संरक्षण का गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया। याचिका में सार्वजनिक स्‍थानों को प्रदर्शन के जरिए बाधित करने से रोकने के सिलसिले में भारत सरकार समेत सभी हित धारकों को उचित दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है।