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2012 Delhi Nirbhaya Case: पटियाला कोर्ट का नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार, 7 दिन बाद होगा फैसला

2012 Delhi Nirbhaya case दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में एक याचिका दायर की थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 07 Feb 2020 03:14 PM (IST)
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2012 Delhi Nirbhaya Case: पटियाला कोर्ट का नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार, 7 दिन बाद होगा फैसला
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 2012 Delhi Nirbhaya case: निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया है। दोषियों के पास कानूनी विकल्प अपनाने के लिए 7 दिन का विकल्प है, इसके बाद कोर्ट दोबारा सुनवाई कर सकता है।

बता दें तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में एक याचिका दायर की है। बृहस्पतिवार को दायर की गई इस अर्जी पर संज्ञान लेते हुए पटियाला हाउस अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होगी। इसमें चारों दोषियों की फांसी के लिए नया डेथ वारंट जारी करने की मांग की जाएगी।

यहां पर बता दें कि इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 31 जनवरी को 1 फरवरी को दी जाने वाली फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। अदालत में दायर की गई अर्जी में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने तीन दोषियों की दया खारिज कर दी गई है। किसी भी दोषी की तरफ से कोई अर्जी किसी अदालत में विचाराधीन नहीं है।

अर्जी में कहा गया है कि मुकेश कुमार सिंह, अक्षय सिंह और विनय कुमार शर्मा के सभी कानूनी उपाय खत्म हो चुके हैं,  जबकि दोषी पवन के पास अभी एक कानूनी उपाय बाकी है, जिसके तहत वह क्यूरेटिव याचिका दायर कर सकता है और इसके बाद उसके पास दया याचिका का उपाय बाकी रह जाता है। इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, सभी उपाय सात दिन में किए जाने हैं। अर्जी में मांग की गई है कि नया डेथ वारंट जारी किया जाए।

गौरतलब है कि कोर्ट इससे पहले दो बार डेथ वारंट जारी कर चुका है, लेकिन चारों दोषियों में दया याचिका के अलावा कोर्ट में मामले होने के चलते फांसी को अमल में नहीं लाया जा सका। 

बता दें कि Delhi Prison Manual के मुताबिक, एक ही अपराध में शामिल सभी दोषियों में किसी एक की भी याचिका लंबित है तो फांसी की सजा को अमल में नहीं लाया जा सकता है। 

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