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2012 Delhi Nirbhaya case: कोर्ट में भावुक हुईं निर्भया की मां, हाथ जोड़कर कहा- डेथ वारंट जारी कर दीजिए

2012 Delhi Nirbhaya Case बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान निर्भया की मां भावुक भी हो गईं और हाथ जोड़ कर कहा कि डेथ वारंट जारी कर दीजिए।

By JP YadavEdited By: Updated: Wed, 12 Feb 2020 05:07 PM (IST)
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2012 Delhi Nirbhaya case: कोर्ट में भावुक हुईं निर्भया की मां, हाथ जोड़कर कहा- डेथ वारंट जारी कर दीजिए
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। 2012 Delhi Nirbhaya Case : निर्भया के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान निर्भया की मां ने कहा कि वह अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए इधर-उधर भटक रही हैं और दोषी फांसी से बचने के तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। मेरा विश्वास डगमगा रहा है। कोर्ट को दोषियों की डिले टैक्टिक्स को समझना चाहिए। वहीं, कोर्ट में सुनवाई के दौरान वह बेहोश हो गईं। 

उधर, सुनवाई के दौरान अदालत में सरकारी वकील ने बताया कि दोषियों को नोटिस जारी कर दिया गया है।इस पर अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि वे दोषी पवन का नोटिस नहीं लेंगे, क्योंकि अब वे उसके वकील नहीं हैं। इस पर अदालत ने अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से पवन का प्रतिनिधित्व करने को कहा तो उन्होंने कहा कि मामला गंभीर दौर में है, वे केस नहीं ले सकतीं। इसके बाद अदालत ने पवन के पिता को कहा की लीगल मदद दी जाएगी, लेकिन पवन के पिता ने सरकारी वकील लेने से मना कर दिया। इस पर जज ने कहा कि इस बात को आदेश में दर्ज किया जाएगा। कुछ देर की सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इस पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी।

यह है पूरा मामला

निर्भया दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने की मांग को लेकर निर्भया के परिजनों एवं दिल्ली सरकार की तरफ याचिका दायर की गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने याचिका पर मंगलवार को सभी दोषियों को नोटिस जारी कर सुनवाई को बुधवार के लिए स्थगित कर दिया था। निर्भया के परिजनों ने अदालत में कहा था कि सभी दोषी कानून का मजाक बना रहे हैं।

निर्भया के स्वजनों व दिल्ली सरकार की तरफ से आवेदन तब दाखिल किया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करने के संबंध में प्राधिकारियों को निचली अदालत में संपर्क करने की अनुमति दी। इसके साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने मंगलवार को निचली अदालत में बताया कि कानूनी उपचार के इस्तेमाल के लिए हाई कोर्ट द्वारा 5 फरवरी को स्वीकृत किए गए एक सप्ताह की समय-सीमा के दौरान दोषियों द्वारा किसी भी कानूनी उपचार का प्रयोग नहीं किया गया। निचली अदालत ने चारों दोषियों के नया डेथ वारंट जारी करने की मांग करते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन व दिल्ली सरकार द्वारा दायर आवेदन को 7 फरवरी को खारिज कर दिया था। निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक डेथ वारंट पर रोक लगा दी थी। निचली अदालत के इस फैसले को गृह मंत्रलय ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 5 फरवरी को गृह मंत्रालय की याचिका को खारिज करते हुए दोषियों को कानूनी उपचार एक सप्ताह में पूरी करने का आदेश दिया था।

विनय ने याचिका दाखिल कर राष्ट्रपति के आदेश को दी चुनौती

दोषी विनय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि राष्ट्रपति ने जल्दबाजी में याचिका निपटाई है। याचिका निपटाने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है। मालूम हो कि इसके पहले दोषी मुकेश ने भी राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।

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