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Arvind Kejriwal Oath: अरविंद केजरीवाल सरकार में कौन-कौन लेंगे शपथ, सामने आई अहम जानकारी

दिल्‍ली का चुनाव जीत चुकी आम आदमी पार्टी के मौजूदा सभी मंत्री एक बार फिर से शपथ लेंगे। केजरीवाल तीसरी बार दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री बनने जा रहे हैं। 16 फरवरी को शपथ ग्रहण होगा।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Wed, 12 Feb 2020 07:16 PM (IST)
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Arvind Kejriwal Oath: अरविंद केजरीवाल सरकार में कौन-कौन लेंगे शपथ, सामने आई अहम जानकारी
नई दिल्‍ली, एएनआइ। Arvind Kejriwal Oath: दिल्‍ली का चुनाव जीत चुकी आम आदमी पार्टी के निवर्तमान सभी मंत्री एक बार फिर से जनता की सेवा के लिए शपथ लेंगे।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निवर्तमान सभी सातों मंत्री को फिर जिम्‍मेदारी दी जाएगी। अभी मिली जानकारी के अनुसार सभी को शपथ ग्रहण कराने की तैयारी की जा रही है। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 62 सीटों में जीत दर्ज की है। अरविंद केजरीवाल के पिछले मंत्रिमंडल में मनीष सिसोदिया, सत्‍येंद्र जैन, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन, राजेंद्र पाल गौतम और गोपाल राय मंत्री थे। सभी मंत्री चुनाव जीत गए हैं, इसलिए माना जा रहा है कि आप सरकार इन मौजूदा सभी मंत्रियों को फिर से मंत्रालय दिया जा सकता है। 

आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने बुधवार को जानकारी दी कि दिल्ली के मनोनीत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 16 फरवरी को पूरी कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह सुबह दस बजे शुरू होगा। पहले कहा जा रहा था कि केजरीवाल अकेले ही शपथ लेंगे और बाद में कैबिनेट का गठन किया जाएगा, लेकिन सभी एक साथ शपथ लेगें। इस बार यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या केजरीवाल इस बार कोई विभाग अपने पास रखेंगे या पिछली बार की तरह अपने मंत्रियों में ही सारे विभागों का बंटवारा कर देंगे। केजरीवाल लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।

इस चुनाव में कड़े मुकाबले में जीत हासिल करने वाले सिसोदिया ने भाजपा प्रचारों का परोक्ष जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने साफ कर दिया है केजरीवाल दिल्ली के बेटा हैं न कि आतंकवादी। उन्होंने कहा कि जनता को बिजली-पानी मुहैया कराना ही राष्ट्रवाद है।

मालूम हो कि मंगलवार को घोषित दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम में आप को कुल 70 सीटों में से कुल 62 सीटें मिली हैं, जो पिछले चुनाव की तुलना में पांच सीटें कम हैं। जबकि 22 साल बाद सत्ता में वापसी की आस लगाए भाजपा फिर से विपक्ष में ही बनी रही। हालांकि,  इस बार पांच सीटों के इजाफे के साथ आठ तक पहुंच गई है। कांग्रेस लगातार दूसरी बार खाता भी नहीं खोल सकी है।

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