दिल्ली में चाहते हैं घूमना तो 'वेस्ट टू वंडर पार्क' में मिलेगा नया अनुभव, 21 से 23 फरवरी तक होंगे कार्यक्रम
बहुत कम समय में दिल्ली के पर्यटकों की पसंदीदा जगह में शामिल हुए वेस्ट टू वंडर पार्क की पहली वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जाएगी। इसके लिए 21 से 23 फरवरी तक विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे।
By Pooja SinghEdited By: Updated: Fri, 14 Feb 2020 05:19 PM (IST)
नई दिल्ली, निहाल सिंह। बहुत कम समय में दिल्ली के पर्यटकों की पसंदीदा जगह में शामिल हुए वेस्ट टू वंडर पार्क की पहली वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जाएगी। इसके लिए 21 से 23 फरवरी तक विभिन्न कार्यक्रम किए जाएंगे। इसमें मशहूर संगीतकार पंकज उधास भी अपनी प्रस्तुति दे सकते हैं। इतना ही नहीं तीन दिन तक इसके लिए लेजर एंड लाइट शो का भी आयोजन किया जा सकता है। साथ ही यहां इन तीन दिनों के दौरान पुरानी दिल्ली के लजीज पकवान का भी आनंद ले सकेंगे।
हालांकि, 12 फरवरी तक आचार संहिता लागू होने की वजह से निगम इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाया है। अब निगम इसकी रूपरेखा बना रहा है। इसको शुक्रवार को अंतिम रूप दिया जा सकता है।उल्लेखनीय है कि कबाड़ से बने सात अजूबों का बना यह वेस्ट टू वंडर पार्क 21 फरवरी 2019 को शुरू कराया गया था। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसका उद्घाटन किया था। बहुत ही कम समय में इस पार्क को इतनी प्रसिद्धी मिली कि केवल दिल्ली के ही नहीं बल्कि देश और विदेश के लोग इस पार्क का दीदार करने आते हैं। आम तौर पर रोजाना ओसतन 10 हजार लोग यहां पहुंचते हैं तो वहीं, छुट्टी के दिन यहां पहुंचने वाले लोगों का आंकड़ा 25 हजार तक पहुंच जाता है।
लागत राशि पूरी करने के बाद मुनाफा दे रहा है पार्कनिगम का यह दूसरा पार्क है, जिसमें शुल्क के साथ प्रवेश की इजाजत दी जाती है। ग्रेटर कैलाश के नंदन वन पार्क के बाद वेस्ट टू वंडर पार्क में यहां पहुंचने वाले लोगों को शुल्क से प्रवेश दिया जाता है। इससे होने वाली आय से निगम लागत राशि सात करोड़ को वसूल कर लिया। इसमें तीन से 12 वर्ष के बच्चों से 25 रुपये और 12 से 60 वर्ष की आयु के पुरुष व महिला के लिए 50 रुपये का प्रवेश शुल्क है। यह पार्क फिलहाल सुबह 11 से रात 11 बजे तक खुला रहता है। वहीं, रविवार को इसका शुल्क दोगुना हो जाता है।
क्या है पार्क की खासियतसरकारी विभागों में कबाड़ का बोझ काफी है। नगर निगम रोजना वाहनों से लेकर रेहड़ी-पटरी और अन्य सामान को जब्त करता है, लेकिन बहुत सारा सामान ऐसा होता है जो लोग वापस लेकर नहीं जाते। ऐसे में नगर निगम ने इसी कबाड़ का फिर से उपयोग करने की योजना बनाई। इसके तहत निगम ने विश्व के सात अजूबों में शुमार कलाकृतियां बनाई हैं। इसमें स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (न्यूयार्क), ताजमहल (भारत), गीजा का पिरामिड (मिस्त्र), एफिल टॉवर (पेरिस, फ्रांस), क्राइस्ट दी रिडीमर (ब्राजील), लीनिंग टावर ऑफ पीसा (इटली), कोसोलियम ऑफ रोम हैं।
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