शपथ से कुछ दिन पहले हो गया था दिल्ली के इस चुने गए मुख्यमंत्री का निधन
शायद ये बात बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के तौ पर देशबंधु गुप्ता शपथ लेते उससे पहले ही उनकी मौत हो गई।
By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 16 Feb 2020 11:24 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली में विधानसभा का इतिहास 70 साल पुराना है और इस दौरान इसने बहुत से उतार चढ़ाव देखे हैं। दरअसल, सबसे पहले 1951 से 1955 तक दिल्ली में विधानसभा रही और फिर 1993 से फिर विधानसभा बनी और अब तक है। बीच में यानी 1955 से 1993 तक दिल्ली में विधानसभा नहीं थी। वहीं, इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव पहली बार अक्टूबर, 1951 हुआ था, जिसमें कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला था। शायद ये बात बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर देशबंधु गुप्ता (Deshbandhu Gupta) शपथ लेते उससे पहले ही उनकी मौत हो गई। इसके बाद आननफानन में कांग्रेस के अन्य नेता और नांगलोई से विधायक चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। अब उनका नाम इतिहास में दर्ज है।
दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव 1951 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ था। परिणाम आने के कुछ दिन के भीतर ही कांग्रेस के चुने गए विधायकों ने बैठक कर 'तेज प्रेस' वाले लाला देश बंधु गुप्ता को विधायक दल का नेता चुना गया था। इसके बाद शपथ ग्रहण की तैयारी भी शुरू कर दी गई थी। ... लेकिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही उनकी एक हादसे में मौत हो गई।
जानिए- देशबंधु गुप्ता के बारे में
- देशबंधु गुप्ता का जन्म दिल्ली से सटे हरियाणा के पानीपत में हुआ था।
- इनके पिता शादीराम वैदिक स्कॉलर होने के साथ उर्दू के शायर भी थे।
- देश बंधु गुप्ता की शादी 17 साल की उम्र में सोना देवी के साथ हुई थी।
- उनकी 4 संतानें विश्वबंधु गुप्ता, प्रेमबंधु गुप्ता, रमेश गुप्ता और सतीश गुप्ता हैं।
- दिल्ली विधानसभा के गठन और पंजाब और हरियाणा दो राज्य बनवाने में उनकी अहम भूमिका थी।
- उन्होंने आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया था। उस दौर के कद्दावर नेताओं में देशबंधु गुप्ता को गिना जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक से उनके मधुर संबंध थे।
लाला देशबंधु गुप्ता की मौत का बाद कांग्रेस में शोक की लहर थी। वहीं, कांग्रेस के सामने विधायक दल का नया चुनने का संकट भी था। इस बीच कांग्रेस विधायकों ने एक बैठक कर उस समय के सबसे युवा नेता व विधायक चौधरी ब्रह्म प्रकाश को विधायक दल का नेता चुना। उन्होंने 17 मार्च, 1952 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और वह 12 फरवरी, 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे।
नांगलोई सीट से जीते थे दिल्ली के पहले सीएम1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले चौधरी ब्रह्म सिंह ने अपना पहला चुनाव बाहरी दिल्ली की सीट नांगलोई विधानसभा सीट से जीता था। इस सीट पर हुए चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी का आसानी से चुनाव हरा दिया था। यह भी कहा जाता है कि चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री बनवाने में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बड़ी भूमिका था।
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