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गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही भावना माथुर, पढ़िए इनकी स्टोरी

सुविधाओं के अभाव ने कुछ दिनों तक ही इनकी सोच पर दबाव बनाया लेकिन उन्होंने ज्यादा दिन तक इन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

By Neel RajputEdited By: Updated: Sun, 01 Mar 2020 02:17 PM (IST)
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गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही भावना माथुर, पढ़िए इनकी स्टोरी

गाजियाबाद [दीप शर्मा]। कहते हैं जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का तो कद क्या देखना आसमानों का। दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है बस एक बार मन में ठान ली जाए कि सोच को काम में तब्दील करना है तो मुश्किल आसान हो जाता और नामुमकिन मुमकिन बन जाता है। ऐसा ही कुछ पटेल नगर-2 की रहने वाले भावना माथुर का किस्सा है। सुविधाओं के अभाव ने कुछ दिनों तक ही इनकी सोच पर दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने ज्यादा दिन तक इन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। आज वे अपने बूते घर में बनी पाठशाला में बच्चों को शिक्षा और आत्मरक्षा के गुण सिखा रही हैं। एक समय वे घर पर खाली होती थीं तो हमेशा सोचती थीं कि जिंदगी ऐसे ही बेकार चली जाएगी।

आर्थिक तंगी के कारण उनकी कुछ कर गुजरने की सोच केवल सोच ही बनकर रह जाती थी। शुरुआत में उन्होंने बच्चों को सामान्य फीस में ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, लेकिन जब देखा कि कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो फीस के लिए रुपये न होने के कारण पढ़ना ही छोड़ देते हैं तो उन्होने सोचा कि क्यों न उन बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दी जाए जो फीस न होने के कारण कभी पढ़ ही नहीं पाते हैं। इसी मकसद से आसपास के घरों में काम करने वाले लोगों के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। तीन साल पहले शुरू हुआ यह सफर आज कक्षा एक से 12 तक के लगभग सौ बच्चों तक पहुंच गया है। ये सभी बच्चे आज उनसे निश्शुल्क शिक्षा ले रहे हैं। वे अपने दिन का पांच घंटा बच्चों को पढ़ाने के लिए देती हैं। बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला कराकर स्कूल के बाद अपनी पाठशाला में बेहतर शिक्षा भी देती हैं।

बच्चे सीखते हैं कराटे

भावना कहती हैं कि वे खुद तो बच्चों को कराटे नहीं सिखा सकती, लेकिन वे कई लोगों से मदद लेती हैं जो एक-एक दिन आकर बच्चों को कराटे सिखा देते हैं। अब काफी लोग उनका साथ देने लगे हैं और बिना फीस लिए मदद करते हैं। इसके अलावा उनके यहां पढ़ने वाले बच्चे समय-समय पर होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अवॉर्ड जीतते हैं। इतना ही नहीं वे नए बच्चों को अलग समय देकर पढ़ाती हैं और उन्हें अच्छी आदतें भी सिखाती है।

शिक्षा ही नहीं, बेहतर जीवन देने की भी इच्छा

एक सभ्य सामाज का निर्माण तभी होता है जब उसमें निस्वार्थ भाव से कल्याण करने वाले लोग होते हैं। भावना माथुर उन्ही लोगों में से एक हैं जो नि:शुल्क शिक्षा के साथ बच्चों को बहुत कुछ देना चाहती हैं। हालांकि वास्तविक जीवन जीने के लिए में आर्थिक पक्ष का मजबूत होना भी जरूरी है। जिसके लिए वे सक्षम लोगों के बच्चों को फीस लेकर पढ़ाती हैं। इससे बाकी बच्चों के अन्य कार्यकलाप का खर्च निकल जाता है। संयुक्त परिवार में रहने वाली भावना के पति विवेक माथुर का खुद का काम है वे भी उन्हें समाज सेवा के लिए स्वतंत्रता देते हैं।

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