India Lockdown: पैसे खत्म होने के बाद पैदल ही पानीपत से शाहजहांपुर के लिए निकले
दो लोग चिनाई और तीन लोग बेलदारी का काम करते थे। साथ ही प्रतिदिन मिलने वाली मजदूरी से ही अपना खर्चा चलाते थे और कुछ रुपये बचाकर घर भी भेजते थे।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। लॉकडाउन से बेरोजगार होकर लोग लगातार देश के विभिन्न राज्यों से पलायन कर रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों की हालत खराब है। इन्हीं में से हरियाणा के पानीपत जिले में चिनाई और बेलदारी का काम करने वाले मोहम्मद आदिल, आमिर, रहमान, नाजिम और सोहेल ने बताया कि वे पांचों लोग यूपी के शाहजहांपुर जिले के रहने वाले हैं। पानीपत वे एक साथ एक कमरे में ही रहते थे। दो लोग चिनाई और तीन लोग बेलदारी का काम करते थे। साथ ही प्रतिदिन मिलने वाली मजदूरी से ही अपना खर्चा चलाते थे और कुछ रुपये बचाकर घर भी भेजते थे। फिर जब 25 मार्च से देश में एकदम लॉकडाउन हो गया तो इन लोगों को काम मिलना बंद हो गया। मजदूरी के कुछ पैसे इनके पास बचे थे उनमें से तीन दिन खर्चा चला लिया, जिससे पैसे खत्म हो गए। साथ ही मकान मालिक ने साफ कह दिया कि वह बिना किराया लिए उन्हें घर में नहीं रहने देगा। मजबूर होकर पांचों लोग शुक्रवार की रात को पैदल ही घर की ओर निकल पड़े।
पानीपत से कई किलोमीटर का पैदल सफर तय कर वह शनिवार को दोपहर तीन बजे भूखे-प्यासे दिल्ली पहुंचे। यहां गाजीपुर फ्लाईओवर के नीचे दिल्ली पुलिस के जवानों द्वारा बांटा जा रहा खाना खाया। जब यहां उन्हें यहां ये बताया गया कि कौशांबी बस अड्डे से यूपी के लिए बसें जा रही हैं तो उनका कहना था कि बस में जाने के लिए उनके पास न तो पैसे हैं और न ही तीन से चार घंटे तक लाइन लगने का समय। इतने समय में तो वह पैदल काफी दूर निकल जाएंगे। थोड़ी देर आराम करने के बाद पांचों घर की ओर चल दिए।
यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वाइंट पर लोगों को मिली बस
फैक्टियों में नौकरी करने वाले लोग पलायन कर गांवों की तरफ चल दिए हैं। ग्रेटर नोएडा के एच्छर, बिरौंडी, तुगलपुर, नवादा सहित कई अन्य गांवों से दस हजार से अधिक लोग शनिवार को घर के लिए निकल गए। लोगों को यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वाइंट पर पहुंच कर राहत मिली। वहां प्रशासन की तरफ से बसों की व्यवस्था की गई थी। बसों में बैठ कर यात्रियों ने राहत महसूस की। खास बात यह रही कि लोगों की मदद के लिए शनिवार को सौ से अधिक शहरवासी सड़कों पर दिखे। शहरवासियों ने खाने के पैकेट बनाकर जरूरतमंद लोगों को दिए।