Red Fort Lal Qila: पढ़िए- लाल किला से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
Red Fort Lal Qila दिल्ली में बने सैकड़ों साल पुराने लाल किला की आधारशिला 29 अप्रैल 1639 को रखी गई। इसका निर्माण 10 वर्ष में पूरा हुआ। इसे देखने के देशभर से लोग आते हैं और यहां पर जानकारी भी जुटाते हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Red Fort Lal Qila: दिल्ली में बने सैकड़ों साल पुराने लाल किला की आधारशिला 29 अप्रैल 1639 को रखी गई। इसका निर्माण 10 वर्ष में पूरा हुआ। ऐसा कहा जाता है कि इसे बनाने में लगभग एक करोड़ रुपये लगे। लाल रंग के पत्थर का इसमें अधिक इस्तेमाल होने के कारण लाल किला के नाम से जानी जाने वाली यह इमारत योजना में अष्टभुजाकार है। वाइडी शर्मा की किताब 'दिल्ली और उसका अंचल' में लाल किला के वास्तु पर विस्तार से विवरण मिलता है। उत्तर की ओर यह किला सलीमगढ़ से एक पुल से भी जुड़ा हुआ है। प्राचीरों के बाहर की ओर एक खंदक है जो प्रारंभ में नदी से जुड़ी हुई थी। महल किले के पूर्वी दिशा में स्थित है। दो भव्य तीन मंजिला मुख्य प्रवेश द्वार, जिनके बगल में अर्द्ध अष्टभुजाकार बुर्ज हैं और जिनमें कई कमरे हैं। पश्चिम और दक्षिण दिशाओं के मध्य में स्थित हैं, जिन्हें आप क्रमश: लाहौरी और दिल्ली दरवाजों के नाम से भी जानते हैं। बाहर की ओर दिल्ली दरवाजे के बगल में दो हाथियों की मूर्तियां हैं जिन्हें लॉर्ड कर्जन ने 1903 में उसी स्थान पर नए ढंग से लगवाया जहां बहुत पहले इन्हें औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था।
इस किले का मुख्य प्रवेश द्वार लाहौरी दरवाजे के जरिये है और महलों तक पहुंचने के लिए आप छत्तादार मार्ग से जा सकते हैं जिसके बगल में मेहराबी कमरे हैं। इन्हें 'छत्ता चौक कहते थे। लाल किले के उत्कृष्ट कारीगर हमीद और अहमद थे। नौबत या नक्कार खाना महल क्षेत्र में प्रवेश द्वार पर स्थित है और इसका इस्तेमाल दिन में पांच बार संगीत बजाने के लिए किया जाता था। दीवान-ए-आम और मुमताज महलदीवाने आम यानी आम दर्शकों का हाल अगली इमारत है। मूल हाल तीन खंडों में है, जिसे प्रारंभ में गचकारी के काम से अलंकृत किया गया था और इसमें भारी पर्दे लटकाए गए थे। इसके पीछे की ओर संगमरमर की एक छतरी है। इसी के नीचे तो बादशाह का सिंहासन होता था। छतरी के पीछे आपको दीवार पर सुंदर पटल दिखेगा, जो बहुरंगे पत्थरों से जड़े हुए हैं। इसमें कई तरह की फूल-पत्तियां और पक्षी दिखाई देते हैं।