पति-पत्नी के झगड़े से बच्चे की मानसिक स्थिति को होता है सबसे ज्यादा नुकसान: HC
सैन्य अधिकारी ने परिवारिक अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि बेरोजगार पत्नी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। बच्चे की हिरासत को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि पति-पत्नी के झगड़े के बीच सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों के मानसिक स्थिति की होती है। पीठ ने कहा कि माता-पिता के प्यार में न तो स्वार्थ होता है और बनावटपन।
पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए सैन्य अधिकारी को दोनों बच्चों की हिरासत पत्नी को देने का आदेश दिया।याचिका के अनुसार गुलमर्ग में तैनाती के दौरान सैन्य ऑफिसर ने पत्नी पर अपने समकक्ष अधिकारी के साथ प्रेम करने का आरोप लगाया था। इस झगड़े के कारण पत्नी ने बच्चों की हिरासत के लिए वर्ष 2015 में मुकदमा किया और अदालत ने वर्ष 2016 में पत्नी के पक्ष में फैसला दिया।
बच्चों की हिरासत पर कोर्ट की अहम टिप्पणी
सैन्य अधिकारी ने परिवारिक अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि बेरोजगार पत्नी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में बच्चों को उसकी हिरासत में न दिया जाए। पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी की आर्थिक स्थिति का मां को बच्चों की हिरासत देने के बीच कोई फर्क नहीं।
पीठ ने निर्देश दिया कि छुट्टी में बच्चों को उनके पिता के पास जाने दिया जाए और मां बच्चों का दाखिला दिल्ली में करवाए। पीठ ने सैन्य अधिकारी को बच्चों के सभी सर्टिफिकेट पत्नी को देने को कहा ताकि लॉक डाउन समाप्त होने के बाद उनका नामांकन दिल्ली के स्कूल में करा सके। पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर दो हफ्ते के बीच दिल्ली में नामांकन नहीं हो पाता है तो बच्चा फिर से अपने पिता के पास मथुरा चला जाएगा और वही वह अपनी पढ़ाई जारी रखेगा क्योंकि पढ़ाई बीच में रोका नहीं जा सकता।