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RIP Irrfan Khan: किताबों से था एक्टर इरफान खान को खास लगाव

RIP Irrfan Khan इनफान ने न सिर्फ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के लिए फ्री विज्ञापन शूट किया था बल्कि 2014 के विश्व पुस्तक मेले में प्रगति मैदान भी पहुंचे थे।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 30 Apr 2020 11:08 AM (IST)
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RIP Irrfan Khan: किताबों से था एक्टर इरफान खान को खास लगाव

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। RIP Irrfan Khan: इरफान खान एक अच्छे अभिनेता और इंसान ही नहीं, साहित्य प्रेमी भी थे। किताबों से उनका गहरा लगाव था। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुस्तक पठन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वह हमेशा तत्पर रहते थे। इसी लगाव के चलते उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के लिए फ्री विज्ञापन शूट किया था बल्कि 2014 के विश्व पुस्तक मेले में प्रगति मैदान भी पहुंचे थे।

एनबीटी के तत्कालीन सहायक निदेशक (प्रचार) और अब राष्ट्रपति भवन संग्रहालय के जनसंपर्क अधिकारी कुमार समरेश बताते हैं कि 2014 के विश्व पुस्तक मेले के लिए विज्ञापन को लेकर दिसंबर 2013 में इरफान से फोन पर बात हुई। उन्होंने सहर्ष हामी भरते हुए अगले ही दिन मुंबई बुला लिया। वहां उन्होंने शूटिंग के दौरान मेकअप रूम में एनबीटी की पहले से तैयार स्क्रिप्ट को अलग रख अपने ही अंदाज में विज्ञापन शूट किया। साथ ही ऑडियो मैसेज भी रिकाॅर्ड किया। इसके लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया और एनबीटी की भेंट की गई किताबों को बड़े चाव से लिया।

कुमार समरेश बताते हैं कि दिल्ली लॉटने के बाद उस विज्ञापन में कुछ तकनीकी दिक्कत आ गई और उसे एयर नहीं किया जा सका। इरफान उस समय हैदर फिल्म की शूटिंग के लिए जम्मू कश्मीर में व्यस्त थे। उनकी पत्नी से संपर्क हुआ। पत्नी के जरिए इरफान का मैसेज आया कि एक दो दिन में वह स्वयं ही नया विज्ञापन शूट करके भेज देंगे। दो दिन बाद वाकई उन्होंने ईमेल के जरिए 15 सेकेंड का नया विज्ञापन भेज दिया, जो बाद में एयर हुआ।

समरेश के मुताबिक फरवरी 2014 में जब विश्व पुस्तक मेला लगा तो इरफान एक दिन आधे घंटे का समय निकाल कर उसमें भी पहुंचे। वहां उन्होंने पाठकों से दो बातें कही। पहली यह कि किसी भी मनुष्य को संवेदनशील और परिपक्व बनाने में किताबों का बड़ा रोल होता है। दूसरी यह कि किसी व्यक्ति के व्यवक्तित्व की जानकारी इससे भी बखूबी पता चलती है कि वह कौन सी किताबें पढ़ता है।

कुमार समरेश बताते हैं कि इरफान को एनबीटी की कॉफी टेबल बुक कंटेम्परेरी थियेटर ऑफ इंडिया बहुत पसंद आई थी। बाद में एनबीटी समय समय पर उन्हें बहुत सी किताबें भेजता रहा। वाकई वह एक अदभुत इंसान थे। उनसे जुड़ी यादें कभी भुलाई नहीं जा सकती।

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