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World Asthma Day: कोरोना से कम घातक नही है यह बीमारी, हर साल जाती है 4 लाख की जान

World Asthma Day 2020 सांस रोग विशेषज्ञ व सीएमओ डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने कहा कि समाज मे आज भी अस्थमा जैसी बीमारियों को छुआछूत की बीमारी समझा जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 05 May 2020 01:26 PM (IST)
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World Asthma Day: कोरोना से कम घातक नही है यह बीमारी, हर साल जाती है 4 लाख की जान
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। पूरी दुनिया इस समय कोरोना से जंग लड़ रही है लेकिन अन्य जानलेवा बीमारियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इनमें अस्थमा भी एक है जो विश्व में हर साल चार लाख लोगों की मौत का कारण बना हुआ है। कोरोना के संक्रमण काल में इस बीमारी से पीड़ित लोगों पर खतरा बढ़ गया है। यही वजह है कि ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा ने इससे होने वाली मौतों को कम करने पर जोर दिया है। यह संस्था इस बीमारी पर रोकथाम के लिए हर वर्ष एक विषय वस्तु तैयार बनाती है। इस वर्ष मौतों को कम करने को ही इसका विषय वस्तु बनाया गया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या भारत में करीब तीन करोड़ है जो पूरे विश्व के मरीजों का दस फीसद है। इसमें 14 वर्ष की कम आयु वाले मरीजों का औसत करीब 20 फीसद है। अस्थमा के दो प्रमुख कारण हैं। एक प्रदूषण और दूसरा अनुवांशिक। अगर परिवार में पहले से कोई पीड़ित है तो अगली पीढ़ी में इस बीमारी के आने की आशंका रहती है।

प्रदूषित वातावरण से भी बढ़ती है बीमारी

वहीं प्रदूषित वातावरण भी इस बीमारी को बढ़ाने में सहयोग करता है। दिल्ली में प्रदूषण होने से अस्थमा के मरीजों पर खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा एक कारण एलर्जी भी है। यह एक लाइलाज बीमारी है लेकिन समय पर अगर इसे पहचान लिया जाए तो नियंत्रित हो सकता है। अस्थमा के उपचार में सबसे सुरक्षित तरीका इन्हेलर थेरेपी को माना जाता है। अस्थमा होने पर मरीज को सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। ऐसी स्थिति में इन्हेलर सीधे रोगी के फेफड़ों में पहुंचकर अपना प्रभाव दिखाना शुरू करता है।

इस वर्ष विश्व में इस बीमारी से होने वाली मौतों को कम करने पर रहेगा जोर

स्वामी दयानंद अस्पताल के स्वामी दयानंद अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ व सीएमओ डॉ. ग्लैडबिन त्यागी ने कहा कि समाज मे आज भी अस्थमा जैसी बीमारियों को छुआछूत की बीमारी समझा जाता है। समय पर जांच, समुचित जानकारी व इलाज से इस पर अंकुश लगाया जा सकता है और मौतों का आंकड़ा कम किया जा सकता है।

एलएनजेपी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक व आइसीयू इंचार्ज डॉ. असीम गुप्ता का कहना है कि अस्थमा के मरीजों को कोरोना के संक्रमण से खास तौर पर बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि अस्थमा के मरीजों का फेफड़ा कमजोर होता है और कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव फेफड़ों पर ही पड़ता है। इसलिए अस्थमा के मरीजों में संक्रमण तेजी से फैलता है। इससे निमोनिया होता है मरीज को तुरंत वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

अस्थमा के लक्षण

सभी मरीजों में एक से लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए अस्थमा के इलाज के लिए सबसे पहले पहचान जरूरी है। इसके कुछ लक्षण हैं मसलन छाती में जकड़न होना, सांस फूलना, सांस लेने में आवाज निकलना, बार-बार जुखाम, लंबे समय तक खांसी, सीने में दर्द, थकान आदि।

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