कोरोना से जूझ रहा अर्धसैनिक बल, लोगों की सुरक्षा के साथ जवानों को सुरक्षित रखना बन रही चुनौती
आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था संभालने के साथ-साथ उन्हें अपने जवानों को कोरोना से बचाए रखने की चुनौती भी है। बड़ी संख्या में विभिन्न अर्धसैनिक बलों व पुलिस के जवान कोरोना से पीड़ित हैं।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अर्धसैनिक बलों व दिल्ली पुलिस की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था संभालने के साथ-साथ उन्हें अपने जवानों को कोरोना से बचाए रखने की चुनौती भी है। बड़ी संख्या में विभिन्न अर्धसैनिक बलों व पुलिस के जवान कोरोना से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। अकेले एम्स के झज्जर स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) में 240 जवान भर्ती हैं, जिसमें 39 जवान दिल्ली पुलिस के हैं। जबकि 201 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवान हैं। एम्स के डॉक्टर व नर्सिग कर्मचारी इन जवानों के इलाज में जुटे हैं। एम्स के एनसीआइ में कोरोना से पीड़ित कुल 523 मरीज भर्ती हैं, जिसमें से 240 जवान हैं।
एम्स सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक दिन पहले तक एनसीआइ में कोरोना से पीड़ित कुल 263 जवान भर्ती थे, जिसमें दिल्ली पुलिस के 40, बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के 78, सीआइएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के 86, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स) के 56, आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के एक जवान के अलावा एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्डन) के दो कमांडो शामिल थे। इनमें से 23 जवानों के ठीक हो जाने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
उल्लेखनीय है कि अभी तक दिल्ली पुलिस के करीब 450 कर्मी कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इसके मद्देनजर कोरोना से बचाव के लिए पुलिस आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने अग्रिम पंक्ति में कोरोना के सर्विलांस व रोकथाम में जुटे जवानों को संक्रमण से बचाव के लिए हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वीन प्रोफाइलेक्सिस दवा लेने की मंजूरी दी है।