शिक्षा प्रणाली में और सुधार की जरूरत, हमारे बच्चे नौकरी देने वाले बनें; मांगने वाले नहीं: केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में कुछ न कुछ समस्या है। क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली से जितना प्रोडक्ट निकलता है वह बाहर निकलने के बाद सबसे पहले नौकरी ढूंढता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हमारी शिक्षा प्रणाली में और सुधार की जरूरत है, हम बच्चों को उस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं कि जब वे स्कूल से निकलें तो नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ये बातें एक लाइव एंटरप्रेन्योर इंटरेक्शन कार्यक्रम के दौरान कहीं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों को अपनी यात्र के बारे में बताने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम में आए उद्योगपति अजरुन मल्होत्र को बधाई दी।
केजरीवाल ने कहा कि जब से यह कार्यक्रम शुरू हुआ तब से कई सारे प्रतिष्ठित लोग बच्चों को संबोधित करने के लिए आए, लेकिन मैं पहली बार इस कार्यक्रम में भाग ले रहा हूं।
एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग से बच्चे एक सफल उद्यमी बन सकेंगे
केजरीवाल ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में कुछ न कुछ समस्या है। क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली से जितना प्रोडक्ट निकलता है, वह बाहर निकलने के बाद सबसे पहले नौकरी ढूंढता है। हम इस सोच को बदलना चाहते हैं, ताकि हम अपने बच्चों को स्कूल में ही उस दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करें कि उनको स्कूल से निकलने के बाद नौकरी नहीं ढूंढनी है, बल्कि कुछ न कुछ अपना काम करना है।
हिंदी में काम करना संभव, लेकिन आज की परिस्थितियों में आसान नहीं
एक छात्र के सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि मातृभाषा में सारा काम होना चाहिए। देश से अंग्रेज चले गए, लेकिन अंग्रेजियत जारी रही। इसका हमारे देश के ऊपर बड़ा प्रभाव पड़ा। आज परिस्थितियां ऐसी हैं कि जो बच्चा अंग्रेजी बोलता व सीखता है, उसको अच्छी नौकरी मिलती है। इस प्रणाली को बदला जाना चाहिए, मगर इसमें सभी राज्य लगेंगे तभी बदलेगा।
अपनी मातृभाषा में बोलने में झिझक नहीं होनी चाहिए
एक छात्र के सवाल पर लाइव एंटरप्रेन्योर इंटरेक्शन कार्यक्रम में उपस्थित उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैंने और मुख्यमंत्री जी ने तीन साल पहले आइआइटी में चयिनत होने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चों से संवाद किया था। उस दौरान बच्चों ने कहा था कि आप हमें अंग्रेजी सिखाने को कुछ कीजिए। जिसके बाद हम लोगों ने अंग्रेजी पर ज्यादा जोर दिया। इसीलिए मैं बार-बार कहता हूं कि हमें हिंदी बोलने में झिझक एवं शर्माना नहीं चाहिए। कोई भी भाषा सीखना एक कौशल है, लेकिन मातृभाषा हिंदी गर्व करने वाली है।