Delhi Earthquake Updates: दिल्ली HC ने पूछा- बहुमंजिला इमारतों को भूकंपरोधी बनाने के लिए क्या कदम उठाए
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी बताने को कहा कि पिछले वर्ष अप्रैल माह में जारी की गई अधिसूचना के तहत इसके लिए विशेषज्ञों की कोई कमेटी गठित की गई है या नहीं।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। भूकंप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने नगर निगमों व दिल्ली विकास प्राधिकरण से पूछा है कि भूकंप के लिए असंवेदनशील इमारतों की पहचान कर नोटिस जारी करने के बाद क्या कदम उठाए गए। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने नगर निगमों व डीडीए को नोटिस जारी कर उठाए गए कदमों के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि आपको इस दिशा में उठाए गए कदमों की प्रगति की रिपोर्ट दिखानी होगी। उक्त निर्देशों के साथ पीठ ने सुनवाई 31 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।
पीठ ने इसके साथ ही दिल्ली सरकार से यह भी बताने को कहा कि पिछले वर्ष अप्रैल माह में जारी की गई अधिसूचना के तहत इसके लिए विशेषज्ञों की कोई कमेटी गठित की गई है या नहीं। पीठ ने यह निर्देश याचिकाकर्ता अर्पित भारद्वाज द्वारा दाखिल किए गए आवेदन पर दिया।
अर्पित भारद्वाज ने इमारतों को भूकंपरोधी बनाने के लिए समय पर एक्शन प्लान लागू करने के लिए निगरानी समिति गठित करने की मांग है। उन्होंने कहा कि प्राधिकारियों को सुपरवाइज करने के लिए इस तरह की निगरानी समिति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 12 अप्रैल, तीन और 14 जुलाई को दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके आए थे और अब तक इस संबंध में उठाए गए कदमों के संबंध में केंद्र सरकार ने कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया है। यह तक यह स्पष्ट नहीं है कि विज्ञान भवन, शास्त्री भवन और इस जैसी उच्च पदस्थ अधिकारियों के काम करने वाली अन्य इमारतें भूकंपरोधी हैं या नहीं।
इस दौरान नगर निगम ने पीठ से कहा कि उन्होंने इमारतों के ऑडिट के लिए 144 इंजीनियर को लगाया गया है। नई दिल्ली नगर निगम ने नौ जुलाई को कहा था कि उसने बहुमंजिला इमारतों के भूकंप रोधी होने की जांच शुरू की। उसने 25 ऐसे बहुमंजिला इमारतों की पहचान की है जो भूकंप के प्रति संवेदनशील है। उसमें से यशवंत पैलेस, पालिका बाजार, पालिका भवन आदि है जिसको भूकंप रोधी बनाने को लेकर कदम उठा लिए गए हैं। एनडीएमसी ने यह भी कहा था कि उसने अपने क्षेत्र के 63 बहुमंजिला इमारतों की पहचान कर नोटिस जारी कर उनसे भूकंपरोधी होने का प्रमाण मांगा गया है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने कहा था कि दिल्ली में 10 से 15 फीसदी निर्माण नियम के तहत हुए हैं। इसके अलावा दिल्ली में लगभग 17 सौ अनाधिकृत कॉलोनियां है जिसके निर्माण में नियम कानून का पालन नहीं किया गया है। उसमें लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। भूकंप आने की दशा में वहां बड़उ नुक़सान हो सकता है। आम लोगों के लिए यह बड़ी क्षति होगी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि भूकंप होने की दशा में लोगों को क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए उसके बारे में जागरूक किया जाए।समाप्त विनीत