दिल्ली के नेता जय भगवान गोयल को गिरफ्तार करने पहुंचे थे 500 पुलिसकर्मी
जय भगवान गोयल ने 90 व 92 के मंदिर आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया। तब वह शिवसेना में सक्रिय थे।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। यूनाईटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष व भाजपा नेता जय भगवान गोयल उन लोग में से है, जिनपर विवादस्पद ढांचा गिराने में साजिश रचने का मुकदमा लखनऊ की विशेष सीबीआइ अदालत में चल रहा है। पूर्वी दिल्ली के निवासी जय भगवान गोयल को इस मामले में अप्रैल 93 में गिरफ्तार करने कोई 500 पुलिसकर्मियों घर आ धमके थे। घर, दफ्तर और फैक्ट्री की तलाशी ली। गिरफ्तार कर अशोक होटल स्थित सीबीआइ के अस्थाई दफ्तर में गए। फिर ट्रांजिट रिमांड लेकर लखनउ ले गए।
उन्होंने 90 व 92 के मंदिर आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया। तब वह शिवसेना में सक्रिय थे। वह 500 सालों के अधिक का इंतजार और लाखों लोग के बलिदान के बाद अब 5 अगस्त को भव्य राममंदिर के निर्माण की आधारशिला रखे जाने की तैयारी पर हर्षित हैं। वह कहते हैं कि अशोक ¨सघल, रामचंद्र परमहंस, बीएल शर्मा प्रेम जैसे कई आंदोलनकारी अंत तक राममंदिर बनते नहीं देख पाएं। उन्हें यह मौका नसीब होने वाला है। वह धन्य हैं।उनकी आंखों के सामने आंदोलन का हर क्षण सजीव है।
वह बताते हैं कि वह 90 के आंदोलन में भाग लेने गए थे। उन लोग को प्रतापगढ़ में गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन जिस स्कूल के अस्थाई जेल में उन लोग को रखा गया, उसका गेट तोड़ अयोध्या पहुंच गए। रास्ते में लोग सत्कार के लिए रेल की पटरियों के किनारे इकट्ठा थे। गुड़, पानी के साथ भोजन करा रहे थे। वह और उनके साथ के कार्यकर्ता शिवसेना का बैनर लहराते अयोध्या पहुंचे थे।इस कारण एक बारगी यह भी चर्चा उड़ गई कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे भी आए हुए हैं। हालांकि तब तक बाल ठाकरे राममंदिर आंदोलन से नहीं जुड़े थे। वहां कारसेवा का आह्वान था तो कारसेवक निहत्थे ही थे, पर वहां तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ¨सह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवा दी। कई लोग मारे गए। कई कारसेवकों के शव को पत्थर बांधकर सरयू नदी में फेंका गया। ताकि मारे गए लोग की सही जानकारी बाहर न आ पाएं। तभी उन जैसे कई लोग ने प्रण कर लिया था कि अगली बार ऐसा आंदोलन होगा, जिसमें राममंदिर का सपना साकार होगा। आखिरकार 1992 में उसके लिए जमीन तैयार कर दी गईं।
नवंबर 1992 में इसकी तैयारियों को लेकर शिवसेना के उत्तर भारत के प्रमुख पदाधिकारियों की एक बैठक दिल्ली में हुई थी।वह 6 दिसंबर 1992 का नजारा याद करते हुए कहते हैं कि हर ओर रामलहर था। हर किसी में जोश था। जोश इतना कि रामभक्त विवादस्पद ढांचे पर चढ़ गए और उसे तोड़ने लगे। शाम को सारा जमीन साफ हो गया था। इसमें शिवसेना स्टाइल की बड़ी चर्चा थी। वह लोग वहां अब ज्यादा देर तक ठहरना मुनासिब नहीं समझा और ट्रेन के माध्यम दिल्ली पहुंच आएं। उसके कुछ माह सीबीआइ घर आ गई।