Delhi Smog Tower: सुप्रीम कोर्ट ने स्मॉग टावर पर केंद्र से मांगा जवाब, सोमवार को होगी सुनवाई
Delhi Smog Tower सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि सरकार सोमवार तक हलफनामा दाखिल कर बताए कि आदेश पर तय समय में अमल क्यों नहीं हुआ।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Smog Tower: दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए तीन महीने में स्मॉग टावर लगाने के आदेश पर अमल में हुई देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार से कहा कि सरकार सोमवार तक हलफनामा दाखिल कर बताए कि आदेश पर तय समय में अमल क्यों नहीं हुआ। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह इस तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं करेगा। ये निर्देश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए दिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली का वायु प्रदूषण घटाने के लिए जनवरी में केंद्र और दिल्ली सरकार को तीन महीने के भीतर आनंद विहार में स्मॉग टावर लगाने का आदेश दिया था।
इस प्रोजेक्ट में आइआइटी बांबे शामिल था, लेकिन बुधवार को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि आइआइटी बांबे प्रोजेक्ट से पीछे हट गया है। इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है और कोर्ट आइआइटी बांबे तथा संबंधित व्यक्तियों पर कार्यवाही करेगा। कोर्ट ने आइआइटी बांबे से जवाब मांगा था। आइआइटी बांबे से संपर्क करने के लिए 24 घंटे का समय दिए जाने के तुषार मेहता के आग्रह पर कोर्ट ने सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए टाल दी थी।
बृहस्पतिवार को हुई सुनवाई में तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि आइआइटी बांबे के संबंधित व्यक्ति, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य तकनीकी सलाहकारों से बात हो गई है। आनंद विहार में स्मॉग टावर लगाने के लिए उनके बीच समझौता (एमओयू) हुआ है। समझौते पर डिजिटल हस्ताक्षर हुए हैं और सभी इस समझौते से बंधे हैं।
तुषार मेहता ने कहा कि आइआइटी बांबे दो महीने में स्मॉग टावर उपलब्ध कराएगा। टेक्निकल पार्ट में तीन महीने लगेंगे और इसे लगाने में 10 महीने का समय लगेगा। तुषार मेहता ने कहा कि तकनीक अमेरिका के मिनेसोटा से आएगी। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आप टेक्नोलॉजी की आड़ ले रहे हैं। हमारे आदेश की अवहेलना हुई है और उस पर अमल की कोई मंशा भी नहीं दिख रही है। इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह सोमवार तक हलफनामा दाखिल कर इन सब बातों का जवाब दे।