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कैट ने कहा- किराये की दुकानों का संपत्तिकर बढ़ा तो होगा आंदोलन

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना के कारण दिल्ली के व्यापारी पहले से परेशान हैं। दुकानें खुली होने के बावजूद महामारी के डर से बाजारों में ग्राहक कम हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 31 Jul 2020 11:21 AM (IST)
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कैट ने कहा- किराये की दुकानों का संपत्तिकर बढ़ा तो होगा आंदोलन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ओर से किराये पर चल रही व्यावसायिक गतिविधियों के लिए दो गुना संपत्तिकर प्रस्ताव का कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध किया है। कैट ने इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि यदि निगम ऐसा नहीं करता है तो दिल्ली के व्यापारी आंदोलन को मजबूर होंगे। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना के कारण दिल्ली के व्यापारी पहले से परेशान हैं। दुकानें खुली होने के बावजूद महामारी के डर से बाजारों में ग्राहक कम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अन्य सभी वर्गो को आर्थिक पैकेज दिया, लेकिन व्यापारियों की झोली में कुछ नहीं आया। उसमें दक्षिणी निगम का यह प्रस्ताव जले पर नमक छिड़कने जैसा है। इसका बड़ा आर्थिक बोझ दिल्ली के व्यापारियों पर पड़ेगा। कारोबार करना और कठिन हो जाएगा। खंडेलवाल ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर कैट शीघ्र दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता सहित दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर, उप-महापौर, स्थायी समिति के अध्यक्ष और नेता सदन से भी मिलेगा।

बता दें कि एसडीएमसी की स्थायी समिति की बैठक में पेशेवर कर लगाने से लेकर बिजली शुल्क और संपत्ति हस्तांतरण शुल्क (ट्रांसफर ड्यूटी) लगाने के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है, लेकिन निगम ने ट्रेड और फैक्ट्री लाइसेंस शुल्क में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।  निगम ने तृतीय निगम मूल्याकंन समिति की सिफारिशों को मंजूर कर दिया है। इससे व्यावसायिक संपत्तियों पर संपत्तिकर कर में वृद्धि हो जाएगी। ट्रेड व फैक्ट्री लाइसेंस लेने या नवीनीकरण कराने से इसके शुल्क में दो से तीन गुणा वृद्धि हो जाएगी। निगम का मानना है कि इन फैसलों से 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हर वर्ष होगी। इससे निगम को आत्मनिर्भर मनाने में मदद मिलेगी।

निगम मूल्याकंन समिति की रिपोर्ट स्वीकार करने व व्यावसायिक संपत्तियों के यूज फैक्टर बदल जाने से सिनेमा हॉल, मॉल, बरात घर और शैक्षणिक संस्थानों को दो से चार गुणा अधिक संपत्तिकर देना होगा, वहीं, ए व बी श्रेणी में 10 वर्ग मीटर तक के स्थान के लिए ट्रेड लाइसेंस लेने के लिए जहां 500 रुपये वार्षिक का शुल्क देना होता था वह बढ़कर अब 3450 हो जाएगा। 10 से 20 वर्ग मीटर तक में यह 8625 और 20 वर्ग मीटर से ज्यादा में यह शुल्क 144 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से लगेगा। हालांकि यह शुल्क 57 से हजार से अधिक नहीं हो सकेगा। इसी तरह सी व डी श्रेणी में यह 10 वर्ग मीटर तक 500 के बजाय 2300, 10 से 20 वर्ग मीटर तक 5750 और अधिकतम 46 हजार रुपये तक का शुल्क लगेगा। ई, एफ, जी और एच श्रेणी में 10 वर्ग मीटर तक 500 के बजाय 1150 रुपये का वार्षिक शुल्क लगेगा। 

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