Delhi Violence: पूर्व JNU छात्र उमर खालिद से पुलिस ने 3 घंटे में पूछे 100 से अधिक सवाल
Delhi Violence देशद्रोह के आरोपित उमर खालिद से शुक्रवार को तीन घंटे तक पूछताछ की। उससे लोधी कालोनी स्थित स्पेशल सेल के दफ्तर में बुलाकर पहली बार पूछताछ की गई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Violence: सीएए और एनआरसी के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली व दिल्ली के अन्य जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र व देशद्रोह के आरोपित उमर खालिद से शुक्रवार को तीन घंटे तक पूछताछ की। उससे लोधी कालोनी स्थित स्पेशल सेल के दफ्तर में बुलाकर पहली बार पूछताछ की गई। दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में हाल में दायर की गई चार्जशीट में उमर खालिद को दंगों का मास्टर माइंड बताया है फिर भी अबतक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक उमर खालिद से दंगों से जुड़े मामले से संबंधित 100 से अधिक सवाल पूछे गए। उससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली आने से पहले शाहीनबाग में दिए भाषण से संबंधित सवाल भी पूछे गए। अधिकतर सवालों के जवाब में उमर खालिद ने झूठ बोलते हुए अपनी संलिप्तता से इनकार किया।
सुबूत दिखाकर पुलिस ने की पूछताछ
कॉल डिटेल व अन्य सुबूत रखते हुए सेल ने जब उससे विस्तृत पूछताछ की तब कई सवालों के जवाब में उसने चुप्पी साध ली। सेल का कहना है कि इससे अभी कई बार पूछताछ की जाएगी उसके बाद गिरफ्तार किया जाएगा।
उमर खालिद पर कई दंगा आरोपितों के साथ गोपनीय बैठक करने का आरोप
पुलिस का कहना है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों से पहले उमर खालिद ने शाहीनबाग में खालिद सैफी, पीएफआइ के सदस्यों, पिंजड़ा तोड़ की छात्राओं, आम आदमी पार्टी के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन व राजधानी पब्लिक स्कूल के मालिक फैजल फारुख के साथ गोपनीय बैठक की थी। बैठक में उसने सभी से दंगों की तैयारी करने को कहा था था ताकि ट्रंप के दिल्ली आते ही दंगे किए जाए। इसके लिए उसने दंगाईयों को करोड़ों रुपये भी बंटवाए थे। पुलिस के पास इसके भी सुबूत हैं।
तीन आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज
वहीं, उत्तर-पूर्वी जिले में हुए सांप्रदायिक दंगा मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीन आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने आरोपितों परवेज, राशिद उर्फ राजा और मोहम्मद इकबाल की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यह जमानत देने का उचित समय नहीं है।