Rahat Indori Death News: अब कहां मिलेगी दिल को वो 'राहत' जब इंदौरी को अपने साथ ले गई मौत
Rahat Indori Death News पूरा वाकया 13 अगस्त 2017 को लंदन का है जब राहत साहब आधे बेड से गिरे हुए थे.. और बेहोश थे।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 13 Aug 2020 07:50 AM (IST)
नई दिल्ली [मनु त्यागी]। Rahat Indori Death News: शायरी सुनकर जिनकी, मौत भी राहत में खो गई थी..लौटना पड़ा था जब मौत को, ऐसा भी एक वाकया था, पर इस बार नहीं ठहरी और वो ताउम्र राहत की शायरी सुनने को मौत अब इंदौरी को साथ अपने ले गई। वाकया ये यही कोई तीन बरस पुराना है। जब मोरारी बापू की कथा के आयोजन में 22 शायर शिरकत करने लंदन गए थे। वसीम बरेलवी, नवाज देवबंदी, वीजेंद्र सिंह परवाज, राजेश रेड्डी, मासूम गाजियाबादी और जमील हापुड़ी.. इन्हीं दिग्गजों के बीच राहत इंदौरी साहब भी थे। राहत साहब 13 अगस्त 2017 को लंदन पहुंचे थे।
शायर राज कौशिक उस घटनाक्रम को याद करते हुए कुछ इस तरह बताते हैं कि एक के बाद एक मुशायरों के दौर के बाद.. 21 अगस्त को अपने देश लौट आने का दिन था। समय करीब यही कोई दोपहर के 3.30 बज रहे थे। हमे होटल से चार बजे एयरपोर्ट के लिए निकलना था। फ्लाइट तो रात दस बजे की थी, लेकिन होटल से चेकआउट का समय 4 बजे ही था। बार-बार नजरें राहत के इंतजार में थीं। सब थे वहां एक वही नहीं दिख रहे थे। उनकी तलाश हुई, होटल वालों ने कहा कि वे चेकआउट कर चुके हैं। मुझे यकीन नहीं था, क्योंकि हम सब साथ थे, तो राहत साहब भला अकेले कहां जाने वाले थे। होटल में कमरा उनका लॉक था। सभी के समझाने के बाद भी मेरा मन माना नहीं, आस में उनके कमरे के बाहर टिका रहा। कमरे से आती एक कराह मेरी बेचैनी और बढ़ा गई। तुरंत कमरे की दूसरी चाबी मंगाई और उसके बाद अंदर देखकर हर कोई अवाक था.. राहत साहब आधे बेड से गिरे हुए थे.. और बेहोश थे।
वहीं, जब डॉक्टर को बुलाया गया तो पता चला उनका शुगर लेवल 1.8 एमएमओएल/पीएल (लगभग 40 एमजी/डीएल) पहुंच गया था। वहां मौजूद हमारे साथियों के सहयोग से महज पांच मिनट में दो एंबुलेंस पहुंच गई थीं। मौत तो उस दिन भी पूरा इंतजाम करके उन्हें लेने आई थी, हमारे सौभाग्य में उनकी शायरी और साथ था। तभी तो हम उन्हें उसी दिन उसी फ्लाइट से लेकर अपने वतन लौटे थे। लेकिन..अब इस बार कोरोना जैसी ऐसी बीमारी आई कि उसने मौका ही नहीं दिया। यही सोच रहा हूं..अब कहां मिलेगी दिल को वो राहत? जो सुकून भी देती है और समाज का आईना दिखा बेचैनी भी बढ़ा देती है।
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