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Delhi riots: पिंजरा तोड़ की देवांगना को नही मिली जमानत, कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोप सही माना

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि देवांगना को जमानत देने का कोई आधार नहीं है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 09:22 AM (IST)
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Delhi riots: पिंजरा तोड़ की देवांगना को नही मिली जमानत, कोर्ट ने प्रथम दृष्टया आरोप सही माना

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के मामले में जेल में बंद पिंजरा तोड़ समूह की सदस्य देवांगना कलिता को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही माना है। इसके आधार पर देवांगना की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। देवांगना फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है। उसके खिलाफ दिल्ली दंगे की साजिश का आरोप है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि देवांगना को जमानत देने का कोई आधार नहीं है। मुझे यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत हो रहे हैं। लिहाजा अर्जी खारिज की जाती है।

देवांगना कलिता पर लगे हैं गंभीर आरोप

इससे पहले अभियोजन पक्ष के वकील अमित प्रसाद ने कोर्ट में कहा कि दंगे के लिए गहरी साजिश रची गई। जांच में जो सुबूत मिले हैं वह बताते हैं कि देवांगना ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाया, सड़क बंद की और उत्तेजक भाषण दिए। वहीं देवांगना के वकील अदित एस पुजारी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम का गलत प्रयोग किया गया है। यह कानून सरकार के खिलाफ गतिविधि के लिए नहीं है। यह अधिनियम देश के खिलाफ गतिविधि के लिए है। सड़क जाम करना इसके दायरे में नहीं आता है।

पुजारी ने कहा कि पुलिस ने बिना किसी पुष्टि के केवल गवाहों के बयान पर भरोसा किया। फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। देवांगना की गिरफ्तारी पांच जून को हुई थी।

सुबूतों के अभाव में दंगे के आरोपित को मिली जमानतम

दिल्ली दंगे के दो मामलों में आरोपित सुनील शर्मा को कोर्ट ने 20-20 हजार रुपये के दो निजी मुचलकोंपर जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि दंगे में शामिल होने या दूसरे समुदाय के खिलाफ नारेबाजी का आरोपित के खिलाफ कोई सुबूत सामने नहीं आया है। आरोपित के वकील राजेंद्र सिंह कसाना ने कहा कि सुनील अप्रैल से न्यायिक हिरासत में है। उसका नाम एफआइआर में भी नहीं था। अभियोजन पक्ष के वकील राजीव कृष्ण शर्मा ने जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि वह दंगे में सक्रिय था।

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