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जेएनयू वैज्ञानिकों ने ढूंढा मलेरिया के इलाज का नया तरीका, मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

जेएनयू के स्पेशल सेंटर फॉर मॉलीक्युलर मेडिसन की वैज्ञानिक डॉ. शैलजा सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि मलेरिया बहुत सारी दवाइयों के प्रति प्रतिरोधी बनता जा रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 30 Aug 2020 02:11 PM (IST)
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जेएनयू वैज्ञानिकों ने ढूंढा मलेरिया के इलाज का नया तरीका, मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मलेरिया परजीवी को भ्रमित कर इसकी गतिशीलता पर अंकुश लगाने का नया तरीका इजाद किया है। वैज्ञानिकों ने एक पेप्टाइड तैयार किया है जो परजीवी को लाल रक्त कोशिकाओं में जाने से रोक देगा। जेएनयू के स्पेशल सेंटर फॉर मॉलीक्युलर मेडिसन की वैज्ञानिक डॉ. शैलजा सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि मलेरिया बहुत सारी दवाइयों के प्रति प्रतिरोधी बनता जा रहा है। पहले हम क्लोरोक्वीन और आर्टिमिसिनिन का प्रयोग करते थे। अब ये दवाएं उतनी प्रभावी नहीं रही है।

ऐसे में स्वाभाविक है कि हमें एक नई दवा की जरूरत है। लेकिन साथ ही यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि यह नई दवा बिल्कुल अलग हो ताकि परजीवी चाहकर भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित ना कर पाए। लेकिन इसके अलावा मलेरिया परजीवी को मारने के लिए हम क्या कर सकते हैं? जवाब है, हम उसके खाद्य प्रणाली (फूड सिस्टम) को निशाना बना सकते हैं, या फिर उसके डीएनए प्रतिरूप को ब्लॉक कर सकते हैं। हम उसके प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को भी प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन हमने जो किया है वो ये कि हमने परजीवी की गतिशीलता को ब्लॉक कर दिया है।

दरअसल, यह परजीवी गतिशील होकर मानव शरीर के अंदर एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक जाता है। प्रवेश के बाद यह 32 गुना तक बढ़ता जाता है। यानी एक से 32 बनते हैं। फिर ये 32 बाहर निकलते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं पर आक्रमण कर देते हैं। इसे सरल भाषा में समझें तो एक कोशिका से निकलकर दूसरी कोशिका तक जाने के लिए जो गतिशीलता चाहिए हमने उसे प्रभावित करने में सफलता पायी है। यह होगी प्रक्रिया डॉ शैलजा सिंह कहतीं हैं कि मनुष्य को गति के लिए मसल्स की जरुरत होती है। उसी तरह परजीवी को गतिशीलता के लिए प्रोटीन और प्रोटीन इंटरेक्शन की जरुरत होती है। मायोसिन और मायोसिन इंटरेक्विंग प्रोटीन यानी एमपीआइपी।

ये दोनो प्रोटीन एक दूसरे के साथ एक तरह के सॉकेट में जुड़े रहते हैं। हमने एक पेप्टाइड बनाया जो दोनों प्रोटीन को एक दूसरे से मिलने ही नहीं देगा। जब ये दोनों एक दूसरे से मिलेंगे ही नहीं तो फिर परजीवी गति नहीं कर पाएगा। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि परजीवी के लिए जरुरी दो प्रोटीन में से किसी एक प्रोटीन के जैसा कुछ हमने तैयार किया है। लेकिन इसके बारे में परजीवी को पता नहीं चल पाता और वो आगे नहीं बढ़ पाता। इस खोज के लिए हमने पहले मलेरिया परजीवी के प्रोटीन का अध्ययन किया एवं फिर यह समझा कि आखिर वो प्रोटीन को कैसे प्रयोग करता है।

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