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'गवाहों से मिले सबूत बताते हैं कि दिल्ली दंगों में Facebook का हाथ था' AAP नेता राघव चड्ढा का बड़ा बयान

Delhi Violence राघव ने कहा कि फेसबुक पर जिस प्रकार की सामग्री का प्रचार किया गया उससे लगता है कि कुछ लोगों की कोशिश विधानसभा चुनाव से पहले दंगा कराने की थी।

By JP YadavEdited By: Updated: Tue, 01 Sep 2020 10:58 AM (IST)
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'गवाहों से मिले सबूत बताते हैं कि दिल्ली दंगों में Facebook का हाथ था' AAP नेता राघव चड्ढा का बड़ा बयान

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फेसबुक मामले को लेकर दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति की सोमवार को फिर बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता राघव चड्ढा ने की। इस बैठक में तीन गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए। बैठक के बाद प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि प्रथम दृष्टया लगता है कि दिल्ली दंगों में फेसबुक का हाथ था। फेसबुक पर जिस प्रकार की सामग्री का प्रचार किया गया, उससे लगता है कि कुछ लोगों की कोशिश विधानसभा चुनाव से पहले दंगा कराने की थी।

राघव चड्ढा ने कहा कि फेसबुक को दिल्ली दंगों की जांच में सह-अभियुक्त की तरह मानना चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए। स्वतंत्र जांच एजेंसी की निष्पक्ष जांच के बाद फेसबुक के खिलाफ कोर्ट में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की जानी चाहिए। चड्ढा ने कहा कि अपना बचाव करने और अपना पक्ष रखने के लिए फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को समिति अगली बैठक में पेश होने के लिए समन जारी करेगी। राघव चड्ढा ने कहा कि आज की बैठक में आवेश तिवारी, कुणाल पुरोहित और सुभाष गड़के गवाह के रूप में पेश हुए। तीनों पत्रकार हैं। इन्होंने काफी अरसे से फेसबुक की गतिविधियां समझी हैं और दिल्ली दंगे से संबंधित कई सारे नए सुबूत और कुछ चीजें समिति के सामने रखे।

समिति ने कहा कि फेसबुक सांप्रदायिकता पैदा करने वाली सामग्री को प्रचारित करता है। चड्ढा ने कहा कि हमने आज की प्रक्रिया को लाइव दिखाया, ताकि जनता के सामने निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके। फेसबुक सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली सामग्री अपने प्लेटफार्म पर रखता है।

फेसबुक ने अमेरिका में कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू किया, पर यहां नहींचड्ढा ने कहा कि भारत में दो समुदायों के बीच भाई-चारा, अमन, शांति आदि को बढ़ावा देने वाली सामग्री को फेसबुक हटा देता है और जो सामग्री दो समुदायों के बीच दंगा कराने में मददगार होती है उसे ज्यादा प्रचारित करता है। लेकिन, अमेरिका में इससे उलट करता है, क्योंकि फेसबुक ने अमेरिका में सामुदायिक मानक (कम्युनिटी स्टैंडर्ड) को लागू किया है।

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