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आखिर कौन है दिल्ली कांग्रेस से जुड़ा राजेश, सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में भी है नाम

राजेश के नाम से एआइसीसी के कई नेताओं और दिल्ली कांग्रेस के भी अनेक पदाधिकारियों को एक चिट्ठी भेजी गई है। मैटर वही लिखा है जो 23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी में था।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 17 Sep 2020 09:05 AM (IST)
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आखिर कौन है दिल्ली कांग्रेस से जुड़ा राजेश, सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में भी है नाम
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। इन दिनों कांग्रेसियों के बीच राजेश नाम का व्यक्ति खासी चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, इस व्यक्ति के नाम से एआइसीसी के तमाम नेताओं और दिल्ली कांग्रेस के भी अनेक पदाधिकारियों को एक चिट्ठी भेजी गई है। इस चिट्ठी में मैटर वही लिखा है जो 23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी में था। लेकिन इस पर हस्ताक्षर किसी के नहीं हैं। लिफाफे पर भेजने वाले का नाम राजेश और पता चूना मंडी, पहाड़गंज, दिल्ली का है। हैरत की बात यह कि इस पते पर इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला। अब कांग्रेसी यह सोचकर परेशान हैं कि भाई, कौन है यह राजेश और उन्हें यह चिट्ठी क्यों भेज रहा है। हालांकि भेजने वाला तो मिला नहीं, लेकिन नेताओं को लग रहा है कि चिट्ठी शायद इसलिए भेजी गई है ताकि सभी को पता चल सके कि इसमें क्या गलत है औैर क्या सही।

अब झुग्गियों ने बांटी कांग्रेस

किसी भी मुददे पर सर्वसम्मत राय बना पाने में नाकाम रही दिल्ली कांग्रेस अब झुग्गियों के मसले पर बंट गई है। झुग्गी वासियों की पीड़ा पर भी पार्टी नेताओं में एकजुटता नहीं है। आलम यह है कि झुग्गियां को बचाने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई तो अगले ही दिन मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने दूसरी याचिका लगवा दी। पार्टी एक, मुददा एक, लेकिन अहम के टकराव में याचिका अलग-अलग। जब सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह का स्टे दे दिया तो दोनों नेताओं में वाहवाही लेने की होड़ लग गई। माकन जहां सुनवाई वाले दिन ही कोर्ट के बाहर मीडिया में छा जाने में कामयाब हो गए वहीं चौधरी ने अगले दिन प्रदेश कार्यालय में अपना धन्यवाद ज्ञापन और अभिनंदन कराने के लिए ढेरों झुग्गी वाले एकत्र कर लिए। पार्टी की इस गुटबाजी पर कई वरिष्ठ नेताओं ने चिंता जताई।

समर्थक और विरोधी दोनों सक्रिय

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी से मचे घमासान के बाद भी समर्थक व विरोधी दोनों सक्रिय हैं। चिट्ठी के सुझावों को सही करार देने वाले नेता जहां गुपचुप अगली रणनीति बना रहे हैं वहीं पार्टी नेतृत्व में आस्था रखने वाले टेलीफोन पर एकजुटता प्रदर्शित कर रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की पहल पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष चतर सिंह ने दिल्ली के तमाम प्रमुख नेताओं से टेलीफोन पर बात की। इस दौरान उन्होंने सभी नेताओं से चिटठी को लेकर उनकी राय जानी। बकौल चतर सिंह, कमोबेश सभी ने एकमत से सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में ही अपनी आस्था जताई। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि गांधी परिवार का नेतृत्व नहीं रहेगा तो फिर पार्टी में अनुशासन भी नहीं रह पाएगा। टेलीफोन पर हुई इस बातचीत में जहां कुछ खटका, वहां सामने वाले को भविष्य का परिणाम बताकर समझा दिया गया।

बड़ी लकीरें घटा रही कद

किसी भी अन्य राज्य की तरह दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष पद की भी एक गरिमा और कद है। लेकिन कुछ बड़े नेताओं की वजह से भी यह कद लगातार छोटा हो रहा है। वजह, एक तो मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी अभी तक बड़े नेताओं का समर्थन ले पाने में नाकाम साबित हुए हैं। उस पर भी विडंबना यह कि चौधरी से 36 का आंकड़ा रखने वाले अजय माकन, देवेंद्र यादव एवं अर¨वदर ¨सह लवली को जिस तरह हाल ही में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) ने राष्ट्रीय स्तर पर नई जिम्मेदारी दी है, उससे स्थिति और विकट हुई है। अनुभवी नेता आगे बढ़ रहे हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष अपने तक सिमटते जा रहे हैं। आलम यह हो गया कि मौजूदा दौर में दिल्ली के सियासी गलियारों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद काफी हल्का होता जा रहा है। शीर्ष नेतृत्व को भी अनुभव और जोश में तालमेल बैठाकर ही चलना चाहिए।

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