Online Classes Guideline: दिल्ली HC ने कहा- छात्र-छात्राओं को गैजेट्स-इंटरनेट न देना डिजिटल रंगभेद
Online Classes Guideline निजी स्कूलों गैर-वित्त पोषित स्कूलों सहित सरकारी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को गैजेट्स-इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 19 Sep 2020 08:16 AM (IST)
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Online Classes Guideline: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के बीच ऑनलाइन कक्षा के लिए यदि आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग और वंचित समूह के छात्रों को गैजेट्स व इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है तो यह भेदभाव और डिजिटल रंगभेद है। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने निजी स्कूलों, गैर-वित्त पोषित स्कूलों सहित सरकारी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को गैजेट्स-इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि जरूरी उपकरण उपलब्ध न कराना शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के नियमों का उल्लंघन है।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) जस्टिस फॉर ऑल की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उक्त सुविधाएं न मिलने से उनके दिल और दिमाग में हीनभावना बढ़ सकती है। इस बीच निजी स्कूलों ने फीस देने पर ही उपकरण उपलब्ध कराने की दलील दी। इसे खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि आरटीई एक्ट की धारा-12 (1) (सी) के तहत निजी गैर-वित्त पोषित को ईडब्ल्यूएस व वंचित वर्ग के 25 फीसद छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा देना अनिवार्य है। इसके साथ ही मुफ्त यूनिफॉर्म, पाठ्य सामग्री और किताबें उपलब्ध कराने का भी नियम है। इसके साथ ही अदालत ने छात्रों के लिए गैजेट्स की पहचान और आपूर्ति करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करने के लिए भी कहा है। इस कमेटी में केंद्र सरकार के शिक्षा सचिव या नामित, दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव या नामित और एक निजी स्कूल के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कमेटी छात्रों को उपलब्ध कराए जाने वाले गैजेट्स-इंटरनेट पैकेज के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को भी तय करेगी।
जनहित याचिका के अनुसार गैर वित्त-पोषित स्कूलों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑन लाइन क्लास चलाने का फैसला किया है। इससे ईडब्ल्यूएस व वंचित समूह वर्ग के 50 हजार छात्रों को फायदा होगा, लेकिन उनके पास न तो लैपटॉप-मोबाइल है और न ही इंटरनेट की सुविधा ही है। स्कूलों को मुफ्त देनी होगी यह सुविधा हाई कोर्ट ने कहा कि सभी छात्रों को एक समान शिक्षा का अधिकार दिया गया है। पीठ ने स्पष्ट किया डिजिटल उपकरण के साथ-साथ इंटरनेट पैकेज की लागत को ट्यूशन शुल्क में नहीं जोड़ा जाएगा। ईडब्ल्यूएस व वंचित समूह के छात्रों को यह सुविधा मुफ्त में दी जाए। हालांकि, गैर वित्त-पोषित स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई)-2009 के तहत राज्य से उपकरण व इंटरनेट पैकेज की खरीद के लिए उचित लागत की प्रतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं।
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