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समय पूर्व सेवानिवृत्त करने पर नीति आयोग के अंतर्गत संस्था के खिलाफ HC पहुंचे सहायक निदेशक

दिल्ली हाई कोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर नीति आयोग को दिया मामले में फैसला लेने का निर्देश। याचिकाकर्ता ने कहा- सेवानिवृत्त करने का फैसला मनमाना इसे रद किया जाए।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Sat, 19 Sep 2020 09:25 AM (IST)
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समय पूर्व सेवानिवृत्त करने पर नीति आयोग के अंतर्गत संस्था के खिलाफ HC पहुंचे सहायक निदेशक
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। नीति आयोग के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त राष्ट्रीय श्रम, अर्थशास्त्र, अनुसंधान और विकास संस्थान (निलेर्ड) के सहायक निदेशक ने समय पूर्व सेवानिवृत्त करने के संस्थान के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है। 57 वर्षीय याचिकाकर्ता सहायक निदेशक भूप सिंह ने दस दिसंबर, 2019 के निलेर्ड के फैसले को मनमाना व अवैध बताते हुए रद करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नीति आयोग को निर्देश दिया कि भूप सिंह द्वारा पूर्व में दिए गए प्रतिवेदनों पर चार सप्ताह के अंदर निर्णय लें और फैसला लेने के एक सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी दें। पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि उक्त फैसले पर कानून के तहत भूप सिंह को आगे राहत लेने की स्वतंत्र होगी। 

उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाह कुंज कॉलोनी निवासी भूप सिंह ने अधिवक्ता सौरभ अहूजा के माध्यम से याचिका दायर कर कहा कि फरवरी 2005 में शोध अधिकारी के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई थी और मार्च 2009 में उन्हें सहायक निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया था।

सौरभ ने दलील दी कि नौकरी के दौरान पूरे कार्यकाल में भूप सिंह को कभी जुर्माना नहीं लगाया गया। काम को लेकर भी कभी कारण बताओ नोटिस या मेमो जारी नहीं हुआ। रिपोर्टिंग अधिकारी द्वारा हमेशा उन्हें बहुत अच्छा रिमार्क मिला है। इसके बावजूद उन्हें समय पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया।

इस आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए भूप ¨सह ने दिसंबर 2019, मार्च 2020 एवं अगस्त 2020 में पक्षकारों के समक्ष प्रतिवेदन दिया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। भूप सिंहने मामले में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, निलेर्ड के महानिदेशक, निलेर्ड रिव्यू कमेटी, निलेर्ड कार्यकारी परिषद चेयरमैन को पक्षकार बना।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नीति आयोग को निर्देश दिया कि भूप सिंह द्वारा पूर्व में दिए गए प्रतिवेदनों पर चार सप्ताह के अंदर निर्णय लें और फैसला लेने के एक सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी दें। पीठ ने साथ ही यह भी कहा कि उक्त फैसले पर कानून के तहत भूप सिंह को आगे राहत लेने की स्वतंत्र होगी। 

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