Facebook Dispute: विधानसभा समिति ने फेसबुक के एमडी अजीत मोहन को फिर किया तलब
समिति ने 15 सितंबर को भी अजीत मोहन को पेश होने के लिए कहा था लेकिन फेसबुक इंडिया की तरफ से भेजी गई चिट्ठी में विधानसभा समिति के अधिकारों पर ही सवाल खड़े कर दिए गए।
By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:38 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (एमडी) अजीत मोहन को फिर से तलब किया है। समिति ने उन्हें 23 सितंबर को पेश होने के लिए नोटिस दिया है। समिति ने कहा है कि इस बार अगर अजीत मोहन पेश नहीं हुए तो इसे विधानसभा समिति के विशेषाधिकार का हनन माना जाएगा और कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामले में दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति फेसबुक की भूमिका की जांच कर रही है। फेसबुक पर आरोप है कि उसने गलत भाषणों पर कार्रवाई नहीं की और निष्पक्षता नहीं दिखाई।
समिति ने 15 सितंबर को भी अजीत मोहन को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन फेसबुक इंडिया की तरफ से भेजी गई चिट्ठी में विधानसभा समिति के अधिकारों पर ही सवाल खड़े कर दिए गए। इस पर समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इसके बाद समिति ने समन की अवहेलना करने के लिए फेसबुक इंडिया द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर विचार-विमर्श किया और इसे स्पष्ट रूप से गलत और तुच्छ पाया।
समिति के सामने यह बात आई कि फेसबुक जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर रहा है। इसके साथ ही फेसबुक खुद पर लगे आरोपों की वास्तविकता का पता लगाने में भी पूरा सहयोग नहीं दे रहा है। इस अवमानना के संबंध में भारत के संविधान द्वारा प्राप्त शक्तियों और विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए अजीत मोहन को समिति के सामने पेश होने का एक अंतिम अवसर प्रदान करने के लिए नोटिस भेजने का फैसला लिया गया।
समन की अवहेलना कर रहा फेसबुकराघव चड्ढा ने स्पष्ट रूप से कहा कि दिल्ली विधायी समिति अपने संवैधानिक रूप से विधि सम्मत क्षेत्राधिकार में काम कर रही है। चड्ढा ने यह भी स्पष्ट किया कि फेसबुक को जारी किए गए नोटिस का ताल्लुक सीधे तौर पर फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा व दंगे की घटनाओं से है, जबकि संसद में कार्यवाही 'नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा पर विशेष जोर सहित सामाजिक/ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकने के विषय पर है। इस नोटिस से यह स्पष्ट होता है कि संसद के समक्ष कार्यवाही किसी भी तरह से फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगे, हिंसा में फेसबुक की भूमिका से जुड़ी हुई नहीं है। इसलिए, समिति इस बात को फेसबुक द्वारा शपथ पर जांच के लिए जारी किए गए समन की अवहेलना करने के अलावा कुछ नहीं मानती है।
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