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Prashant Bhushan: अवमानना मामले में बीसीडी ने प्रशांत भूषण को भेजा नोटिस, सुप्रीम कोर्ट ने दी है सजा

Prashant Bhushan बीसीडी ने भूषण को निर्देश दिया है कि व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की शाम चार बजे बीसीडी कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत अधिवक्ता के जरिये उपस्थित हों। उन्हें वर्चुअल सुनवाई का भी विकल्प भी दिया गया है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:44 AM (IST)
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देश के नामी अधिवक्ता प्रशांत भूषण की फाइल फोटो।
नई दिल्ली,  जागरण संवाददाता। Prashant Bhushan:  विवादास्पद ट्वीट के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया है। बीसीडी ने भूषण को निर्देश दिया है कि व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 23 अक्टूबर की शाम चार बजे बीसीडी कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से या किसी अधिकृत अधिवक्ता के जरिये उपस्थित हों। उन्हें वर्चुअल सुनवाई का भी विकल्प भी दिया गया है। बीसीडी ने यह भी पूछा है कि अधिवक्ता कानून की धारा-24-ए व 35 के तहत उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए?

अधिवक्ता कानून की धारा 24-ए के तहत नैतिक अपराध से जुड़े मामले में दोषी पाए जाने पर अधिवक्ता को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। वहीं, धारा-35 के तहत पेशेवर या अन्य कदाचार के लिए वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए प्रैक्टिस से निलंबित करने से लेकर बार काउंसिल के पंजीकरण से नाम भी हटाया जा सकता है।

बीसीडी ने कहा है कि उनका निर्धारित समयावधि के भीतर जवाब नहीं मिलता है और काउंसिल के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो इस स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, बीसीडी चेयरमैन रमेश गुप्ता ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के छह सितंबर 2020 के पत्र और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14 अगस्त और 31 अगस्त 2020 को दिए गए फैसलों को देखते हुए नोटिस जारी किया गया है। बीसीआइ ने बीसीडी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराते हुए एक रुपये का जुर्माना लगाया था। इसी में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर फाइन नहीं भरा तो प्रैक्टिस पर 3 साल के लिए रोक लगेगी।

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