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Delhi Riots: 'रोबोट' ने कहा, मेरे सामने ही दंगाइयों ने दुकानों में लगाई आग

Delhi Riots दिल्ली दंगों को लेकर रोबोट नाम के एक गवाह ने बताया कि 23 फरवरी की शाम जब वह मौजपुर चौक पर अपनी दुकान में बैठे थे तब उन्होंने देखा कि समुदाय विशेष के सैकड़ों लोगों की भीड़ वहां पहुंची।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 24 Sep 2020 11:48 AM (IST)
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फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की सांकेतिक फोटो।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Riots: उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा के मामले में पुलिस ने बहुत ही पेशेवर तरीके से जांचकर सबूतों को आरोप पत्र में रखा है। इस मामले में अधिकतर गवाह समुदाय विशेष के ही हैं जो दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) के सदस्य थे। इन गवाहों ने दंगे के मास्टर माइंड रहे आरोपितों के भड़काने पर ग्रुप में खुलकर विरोध जताया था। अब इन गवाहों को किसी तरह की परेशानी न आए, इसके लिए पुलिस ने आरोप पत्र में उनके कोड वर्ड में नाम रखा है जैसे मरकरी, बोंड, चार्ली, अल्फा, रोबोट आदि.। गवाहों के नाम, पता व धर्म को गोपनीय रखा गया है ताकि उनकी पहचान उजागर न हो सके। पुलिस ने ऐसे 747 गवाह बनाए हैं। मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके बयान भी दर्ज करा दिए गए हैं। रोबोट नाम के एक गवाह ने बताया कि 23 फरवरी की शाम जब वह मौजपुर चौक पर अपनी दुकान में बैठे थे तब उन्होंने देखा कि समुदाय विशेष के सैकड़ों लोगों की भीड़ वहां पहुंची। उनके समझाने के बावजूद भी भीड़ में शामिल लोग नहीं माने और दंगाइयों ने लूटपाट करने के साथ ही कई दुकानों में आग लगा दी।

सबूत न मिटा दें साजिशकर्ता, इसीलिए जमा करा लिए थे मोबाइल

दंगे के साजिशकर्ताओं के बारे में पता लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी। ऐसे में पुलिस ने दंगे पर काबू पाने के चंद दिन बाद ही सबसे पहले साजिशकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी थी। साजिशकर्ताओं के बारे में जानकारी मिलते ही उनकी सूची तैयार कर सबसे पहले स्पेशल सेल ने उनके मोबाइल फोन को किसी न किसी बहाने जब्त कर लिया ताकि गिरफ्तारी शुरू करने पर वे मोबाइल से चैट व दंगे से संबंधित अन्य तथ्यों को डिलीट न कर दें। इस रणनीति में पुलिस को सफलता मिली। सभी के मोबाइल फोन की जांच करने के बाद सुबूत इकट्ठा किए गए। उसके बाद मुकदमा दर्ज करते हुए धीरे-धीरे उनकी गिरफ्तारी शुरू की गई।

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