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Bihar Assembly Election 2020: पढ़िये- क्यों हैं दिल्ली कांग्रेस प्रभारी का बिहार पर फोकस

Bihar Assembly Election 2020 दिल्ली कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल नेता तो गुजरात के हैं और बिहार का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे हैं तो उनका फोकस भी दिल्ली नहीं बल्कि गृह क्षेत्र और बिहार ही रहता है।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 24 Sep 2020 01:52 PM (IST)
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दिल्ली कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की फाइल फोटो।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Bihar Assembly Election 2020:  राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल को दिल्ली कांग्रेस का प्रभारी तो बना दिया गया, लेकिन दिल्ली से उनका कोई लगाव नजर नहीं आता। चूंकि नेता वह गुजरात के हैं और बिहार का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे हैं तो उनका फोकस भी दिल्ली नहीं, बल्कि गृह क्षेत्र और बिहार ही रहता है। वे दिल्ली में हों अथवा नहीं, यहां के नेताओं से मिलने, उनके मुद्दों पर चर्चा करने और यहां पर संगठन की मजबूती को लेकर कभी उनकी गंभीरता देखने को नहीं मिलती। दिल्ली का प्रभार संभाले उन्हें करीब सात माह हो गए हैं, लेकिन अभी भी दिल्ली को लेकर कुछ पूछने पर एक ही जवाब मिलता है, अभी कुछ नहीं। पार्टी का फोकस फिलहाल केवल बिहार चुनाव है। दिल्ली पर बाद में आएंगे। चर्चा तो यहां तक है कि उनके पास प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी से मिलने का भी वक्त नहीं है। भगवान ही मालिक है दिल्ली में कांग्रेस का..।

राजनीति का चस्का, जेब से खर्चा

राजनीति का चस्का जिसे एक बार लग जाए, आसानी से छूटता नहीं। नेताजी खुद या फिर उनकी पार्टी सत्ता में हो तो कोई दिक्कत नहीं। लेकिन, दोनों ही सत्ता से कोसों दूर हों तो सियासी वजूद बनाए रखना भी जेब पर भारी पड़ने लगता है। ऐसे ही एक कांग्रेसी नेताजी हैं रोहित मनचंदा। 2002 में निगम पार्षद का चुनाव जीते, फिर 2004 और 2005 में दो बार दक्षिणी दिल्ली नगर निगम जोन के अध्यक्ष रहे। अगले चुनाव में किस्मत ने साथ नहीं दिया। साकेत से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। अब खुद भी सत्ता से दूर हैं और पार्टी भी। लेकिन, सियासी वजूद बनाए रखने के लिए नेताजी जेब से खर्चा कर क्षेत्र में जगह-जगह फॉ¨गग कराते हैं, स्कूल दाखिले के लिए भी मदद करते हैं। मार्केट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ भी अक्सर बैठते हैं और उनके साथ चाय-नाश्ते पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

कार्यकर्ताओं में पुलिस का खौफ

पिछले दिनों एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अभिषेक दत्त को थप्पड़ क्या जड़े, पार्टी कार्यकर्ताओं में भी पुलिस का खौफ साफ नजर आने लगा है। आलम यह हो गया है कि पार्टी अब जो भी धरना-प्रदर्शन आयोजित कर रही है, कार्यकर्ता वहां तय समय से थोड़ा देरी से पहुंच रहे हैं। दरअसल, कार्यकर्ता जान चुके हैं कि अधिकतम 10 मिनट के भीतर पुलिस धरना-प्रदर्शन समाप्त करवाकर सभी को हिरासत में ले लेती है। ऐसे में 10 मिनट देरी से ही जाओ ताकि पुलिस का डंडा भी न पड़े और पार्टी पदाधिकारियों को चेहरा भी दिख जाए। इसी सोच के चलते अब प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी के साथ गिने चुने कार्यकर्ता ही होते हैं, बाकी सभी दूर से ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं। वे आपस में चर्चा भी ऐसी ही करते हैं कि डंडे या थप्पड़ खाकर बेइज्जती कराने से तो अच्छा है, थोड़ा दूर ही रहो।

जिलों में भी उठे असंतोष के स्वर

दिल्ली कांग्रेस के विभिन्न जिलों में भी असंतोष के स्वर उठने लगे हैं। करावल नगर जिला अध्यक्ष एआर जोशी द्वारा तीन ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति किए जाने का विवाद थमा नहीं है कि बदरपुर जिला अध्यक्ष विष्णु अग्रवाल द्वारा विवेक शर्मा को जिला महासचिव की चिट्ठी देने पर सवाल खड़े हो गए हैं। पूर्व प्रदेश महासचिव एवं एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश विधूड़ी खुलकर इस नियुक्ति के विरोध में आ गए हैं। उनका कहना है कि बदरपुर जिले का स्तर हद से ज्यादा नीचे गिरता जा रहा है। पिछले एक साल में यहां ऐसे अनेक लोगों को जिले की चिट्ठी दे दी गई, जिन्हें पड़ोसी तक नहीं जानते। आखिर ऐसे कैसे पार्टी मजबूत होगी? जिले में दलित और अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाकर उन्होंने आलाकमान से बदरपुर जिले के पुनर्गठन की भी मांग कर डाली। फेसबुक पर भी जिला कांग्रेस का विवाद खूब तूल पकड़ रहा है।

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